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समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम लीडरशिप ख़त्म करने के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश की यादव लीडरशिप को भी ख़त्म करके ‘सैफई परिवार’ को स्थापित कर दिया है।

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उत्तर प्रदेश में पहले यादव बाहुल्य क्षेत्रों में स्वतंत्र यादव लीडर शिप हुआ करती थी। संभल- बदायूँ क्षेत्र में डीपी यादव, आज़मगढ़ में रमाकान्त यादव, मैनपुरी में बलराम सिंह यादव, कन्नौज में छोटे सिंह यादव, एटा में देवेंद्र यादव, फ़ैज़ाबाद में मित्रसेन यादव, जौनपुर में पारसनाथ यादव, खलीलाबाद भालचंद यादव, जैसे नेता हुआ करते थे। आज सब नेता कहाँ हैं?

इस बार समाजवादी पार्टी ने यादव समाज को कुल 5 टिकट दिए हैं। पाँचों टिकट सैफई परिवार को दिए। पाँचों सीट पर सैफई परिवार जीत गया।किसी भी सीट पर कोई भी ग़ैर सैफई परिवार का यादव प्रत्याशी नहीं बनाया। भाजपा और बसपा ग़ैर सैफई परिवार के यादवों को टिकट दिया। सभी हार गए।

पिछली लोकसभा में दो ग़ैर सैफई परिवार के यादव सासंद थे। एक भाजपा से दिनेश यादव निरहुआ आज़मगढ़ से और दूसरे जौनपुर से बसपा से श्याम सिंह यादव।

मुलायम सिंह यादव के पहली बार मुख्यमंत्री बनने से बहुत पहले सन 1977 में तत्कालीन जनता पार्टी ने “श्री रामनरेश यादव” को पहला यादव मुख्यमंत्री बनाया था। रामनरेश जी एटा ज़िले की निधौली कलां सीट से जीते थे। उनका कार्यकाल 23 जून 1977 से 28 फ़रवरी 1979 तक रहा था। आज उनका परिवार सक्रिय राजनीति में नगण्य है।

-आज़मगढ़ लोकसभा सीट यादव बाहुल्य सीट है। यहाँ सैफई परिवार के पहुँचने से पहले निम्नलिखित यादव सांसद जीते थे।

(1) आज़मगढ़ लोकसभा सीट——

राम हरख यादव 1962

चंद्रजीत यादव 1967,1971

रामनरेश यादव 1977

चंद्रजीत यादव 1980

रामकृष्ण यादव 1989

चंद्रजीत यादव 1991

रमाकान्त यादव 1999,2004, 2009

2014 के चुनाव में इस सीट पर सैफई परिवार के मुलायम सिंह यादव पहुँचते हैं। 2019 अखिलेश यादव। तब से ये सीट सैफई परिवार के पास है।

इस बार यहाँ से धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं।

-संभल लोकसभा सीट यादव बाहुल्य सीट है। सैफ़ई परिवार के यहाँ पहुँचने से पहले निम्नलिखित यादव सांसद थे।

(2) संभल लोकसभा

1980 बिजेन्द्र पाल सिंह यादव

1989,1991 श्रीपाल सिंह यादव

1996 डीपी यादव

फिर इसके बाद सैफई परिवार यहाँ पहुँचता है 1998 में मुलायम सिंह यादव, 1999 में मुलायम सिंह यादव, 2004 में प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव सांसद रहे।

-बदायूँ लोकसभा सीट यादव बाहुल्य सीट है। सैफ़ई परिवार के यहाँ पहुँचने से पहले निम्नलिखित यादव सांसद थे।

(3) बदायूँ लोकसभा

1971 करन सिंह यादव

1989 शरद यादव

फिर इसके बाद सैफई परिवार यहाँ पहुँचता है। 2009 में धर्मेंद्र यादव, 2014 में धर्मेंद्र यादव सांसद रहे।2019 में धर्मेंद्र यादव हार गए।

2024 में शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव चुनाव लड़ रहे हैं।

(4) मैनपुरी लोकसभा सीट यादव बाहुल्य सीट है।

सैफ़ई परिवार के यहाँ पहुँचने से पहले 1984, 1998,1999 बलराम सिंह यादव सासंद थे। फिर यहाँ सैफई परिवार पहुँचता है 2004 मुलायम सिंह यादव, 2004 उपचुनाव धर्मेंद्र यादव, 2009,2014 मुलायम सिंह यादव, 2014 उपचुनाव तेजप्रताप यादव, 2019 मुलायम सिंह यादव, 2022 उपचुनाव डिंपल यादव। इस बार डिंपल यादव यहाँ से प्रत्याशी हैं।

(5) कन्नौज लोकसभा भी यादव बहुल है।

यहाँ सैफई परिवार के पहुँचने से पहले 1980, 1989, 1991 छोटे सिंह यादव, 1998 प्रदीप यादव सांसद थे। फिर यहाँ सैफई परिवार के पहुँचने के बाद 1999 मुलायम सिंह यादव, 2004, 2009 अखिलेश यादव, 2014 डिंपल यादव सासंद रहे। 2019 में डिंपल यादव यहाँ हार गईं। इस बार अखिलेश यादव यहाँ से प्रत्याशी हैं।

इसके अलावा (6) एटा लोकसभा सीट से 1999, 2004 देवेंद्र सिंह यादव

(7) फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट से 1989, 1998, 2004 मित्रसेन यादव

(8) जौनपुर लोकसभा सीट से 1991 अर्जुन सिंह यादव 1998, 2004 पारसनाथ यादव सांसद रहे।

(9) खलीलाबाद लोकसभा सीट 1996 सुरेंद्र यादव, 1999 और 2004 भालचंद्र यादव सांसद थे।अब इस सीट का नाम संत कबीर नगर लोकसभा सीट है।

(10) चंदौली लोकसभा सीट से 1977 नरसिंह यादव,1989 और 2004 कैलाश नाथ यादव,2009 रामकिशुन यादव सांसद थे।

आज इन सबका कोई अता-पता नहीं है। इन सीटों पर सपा ने ग़ैर यादव प्रत्याशी घोषित किए हैं। पिछली बार दो ग़ैर सैफई परिवार के यादव सांसद थे। एक निरहुआ आज़मगढ़ से भाजपा और दूसरे श्याम सिंह यादव जौनपुर से बसपा के सांसद थे। इस बार के चुनाव में भी बसपा और भाजपा दोनो ने ग़ैर सैफई परिवार के यादव प्रत्याशी बनाए थे। मगर सभी चुनाव हार गए।

इमरान शकील खान एक वरिष्ठ पत्रकार और राजनितिक विश्लेषक हैं. आपने देश के उच्च विश्विधाल्यो से तालीम हासिल की है. आप इमरान से सोशल मीडिया साईट ट्विटर (एक्स) पर जुड़ सकते हैं. @Imran_Shakeel_

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