नई दिल्ली: राजनीति और नेताओं के बारे में आम लोगों का मानना है कि राजनीती एक दलदल है और ज़्यादातर नेता भ्रष्ट होते हैं जिन्हे जनता से कोई लेना देना नहीं होता, सब पूरी तरह से सत्ता के लालची होते हैं चाहे वो किसी भी पार्टी से क्यों न हो, इस तरह की अवधारणा अब तक़रीबन सभी लोगों में बन चुकी है. लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा देशप्रेमी मुस्लिम युवा शिक्षाविद है जिसने अपने क्षेत्र में बदलाव लाने का एक ऐसा ख़्वाब बुना जिसे पूरा करने के लिए उसने ऑस्ट्रेलिया से लौटकर एक विधायक के रूप में राजस्थान विधानसभा में अपनी जगह बनाई और राज्य के मेव बहुल इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार लाकर राज्य के लोगों का ध्यान पूरी तरह से अपनी तरफ़ आकर्षित किया है.
ये कोई आम नेता नहीं बल्कि भरतपुर जिले के नगर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक, 40 वर्षीय वाजिब अली (Wajib Ali) हैं जो राजनेताओं वाली परम्परागत छवि से बिल्कुल अलग हैं.
वाजिब अली (Wajib Ali) नगर ब्लॉक के सीकरी गांव के एक मेव मुस्लिम परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं, अली 2005 में उच्च शिक्षा के लिए अपना क्षेत्र छोड़कर पहली बार नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया गए और बाद में उच्च शिक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया चले गए. जिसके बाद वो 2013 में भरतपुर वापस आ गए और आकर उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राज्य का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा विधायक अनीता सिंह से हार गए.
बता दें कि अली का ऑस्ट्रेलिया में एक संपन्न रियल एस्टेट व्यवसाय है और वह अपने दो भाइयों के साथ सिडनी, मेलबर्न और ब्रिस्बेन जैसे शहरों में आठ कॉलेज और एक स्कूल चलाते हैं. अली ने दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में एक सफल चुनाव अभियान का नेतृत्व किया और नगर सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए.
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जिसके बाद अली, 2019 में पांच अन्य बसपा विधायकों के साथ सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए और घोषणा की कि वे सभी राज्य सरकार की राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना चाहते हैं. दरअसल राजस्थान में कर्नाटक जैसी उथल-पुथल को दोहराने के लिए भाजपा द्वारा बसपा विधायकों को लुभाने की कोशिश की खबरों के बीच उन्होंने यह कदम उठाया था. अली और उनके साथी विधायकों ने 2020 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के विद्रोह के कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन किया और जून 2022 में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट दिया.
इसके बाद अली को अगस्त 2022 में राजस्थान राज्य खाद्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया .
अली वैसे 2013 से ही मेव बहुल क्षेत्र में सक्रिय हैं, लोगों के संघर्षों को वो लगातार समर्थन दे रहे हैं और सरकारी अधिकारियों के साथ लोगों के मुद्दों को उठाते आये हैं.
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अली बताते हैं कि उनका मक़सद लोगों के जीवन में बदलाव लाने और ख़ासकर पूर्वी राजस्थान में सामाजिक परिस्थितियों में सुधार करने का रहा जिसकी इच्छा से ही वो भारत वापस आए थे. उनका ,मानना है कि उनका क्षेत्र राजस्थान का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है और यहाँ बुनियादी सुविधाओं की बेहद कमी है.
गौरतलब है कि मेव में मुस्लिम समुदाय के लोगों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है.”
वैसे अली को नगर निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में “सभी जातियों के लोगों ने वोट दिया, जहां मुसलमानों की आबादी सिर्फ 20% है. दरअसल मतदाताओं को यकीन हो गया था कि अली उनके लिए कुछ करने के उद्द्श्य से ही ऑस्ट्रेलिया में अपनी सुख-सुविधाओं का त्याग करके यहाँ आये है.”
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वाजिब अली (Wajib Ali) ने आम राजनेताओं के बिलकुल बरक्स सांप्रदायिकता और घृणा अभियान के तमाम विचारों को पराजित किया है, जिसका उपयोग अमूमन नेताओं द्वारा राजनीति में सीढ़ी चढ़ने के लिए किया जाता है. लेकिन अली ने ऐसा नहीं किया यही वजह रही कि सभी लोगों ने उनपर भरोसा जताया है.”
अली ने ग्रामीणों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी पूरा ध्यान केंद्रित किया. आज भी अली लगातार सरकारी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम कर रहे हैं..अली का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों के सहारे पुरे समाज का कल्याण नहीं किया जा सकता उसके लिए केवल एक मज़बूत सरकारी शिक्षा व्यवस्था ही सभी को लाभान्वित कर सकती है.”
जहां तक स्वास्थ्य क्षेत्र की बात है तो पहले गांवों में सरकारी सुविधाओं की स्थिति दयनीय थी, जहां 95 फीसदी महिला प्रसव के मामले निजी अस्पतालों में रेफर किए जाते थे. विभिन्न स्तरों पर अली के हस्तक्षेप से स्थिति को सुधारने में मदद मिली है. अली ने अलग अलग मंचों पर अपने मुद्दों को उठाकर मुसलमानों और अन्य हाशिए के समूहों को राहत दी है.
वाजिब अली (Wajib Ali) ने सार्वजनिक व्यवहार के साथ विभिन्न कार्यालयों में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी धयान दिया, इसके अलावा उन्होंने भ्रष्टाचार की ओर सरकारी अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने विधायक के रूप में अपने पद का उपयोग समाज की बेहतरी के लिए और विभिन्न अवसरों पर चीजों को सही करने के लिए किया है. उन्होंने हाल ही में एक उर्दू शिक्षक अमीन कयामखानी के निलंबन का मुद्दा शिक्षा मंत्री के सामने उठाया जब शिक्षक ने मंत्री का ध्यान स्कूलों में उर्दू विषय को दरकिनार किए जाने की ओर आकर्षित किया.
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विधायक के रूप में चुनाव से पहले और बाद में पूर्वी राजस्थान क्षेत्र में अली द्वारा किए गए निस्वार्थ और समर्पित कार्य ने एक मिसाल कायम की है कि कैसे युवा शिक्षित मुसलमान सार्वजनिक सेवा के विविध क्षेत्रों में प्रवेश करके बदलाव ला सकते हैं. अली के नेतृत्व में भरोसा जताने वाले नगर क्षेत्र के आम लोगों को उम्मीद है कि वह जनसेवा के नए मानक स्थापित करेंगे और पिछड़े क्षेत्र में एक नई पहचान लाएंगे.