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डॉ जाकिर हुसैन जीवन परिचय | Dr Zakir Hussain biography

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डॉ जाकिर हुसैन भारत देश के तीसरे राष्ट्रपति थे, इसके अलावा वे उन्हें भारत देश में शिक्षा में क्रांति लाने के लिए याद किया जाता है. डॉ हुसैन ने अपने नेतृत्व में गया था कि राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय स्थापित किया था. आज तक, राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय जिसे अब जामिया मिलिया इस्लामिया के नाम से जाना जाता है, नई दिल्ली में केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्गत आती है, जहाँ से हर साल हजारों अच्छे विद्यार्थी पढ़ कर निकालते है. डॉ हुसैन बिहार के राज्यपाल भी रहे, साथ ही तीसरे राष्ट्रपति बनने से पहले, जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति थे, तब हुसैन साहब को राष्ट्रपति बनाया गया था.

डॉ हुसैन स्वतंत्र भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे, उनका जन्म 8 फरवरी, 1897 को हैदराबाद आंध्रप्रदेश के सुम्भ्रांत परिवार में हुआ था. इनकी माता का नाम नाजनीन बेगम था. प्लेग नाम की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण इनकी मृत्यु 1911 मे ही, हो गई थी. जन्म के थोड़े समय बाद ही इनका परिवार उत्तर प्रदेश मे बस गया था. कुछ समय बाद डॉ हुसैन ने अपने पिताजी को भी खो दिया था. वे सात भाई थे, जिसमें हुसैन साहब दुसरे नंबर के थे.  इनका जन्म एक शिक्षित और आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में हुआ था. संपन्नता की छाप उनके व्यक्तित्व पर साफ दिखाई पड़ती थी.

शिक्षा के प्रति लगाव डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) को अपने पिता से विरासत में मिला था. इनके पिता ने भी कानून के क्षेत्र में अच्छी जगह प्राप्त की थी. वे शिक्षा के महत्व को भली-भांति जानते थे. यही वजह है की माता-पिता का देहांत होने के बाद भी डॉ हुसैन ने अपने पिता की इच्छा पूर्ती के लिए अपनी पढ़ाई को बिना किसी रुकावट के जारी रखी. इनकी प्रारंभिक शिक्षा इस्लामिया हाई स्कूल, इटावा में हुई. स्कूल की पढाई इन्होंने इटावा से ही पूरी की. कानून की पढ़ाई के लिए डॉ. जाकिर हुसैन  ने ऐंग्लो-मुस्लिम ऑरिएंटल कॉलेज  मे दाखिला लिया,  जिसे अब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है. यहाँ से इन्होंने M.A. किया. इसके बाद डॉ हुसैन जर्मनी चले गए, जर्मनी विश्वविद्यालय से 1926 में अर्थशास्त्र में  पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त की, जिससे इन्हें डोक्टरेट की उपाधि मिली. वे एक प्रतिभाशाली छात्र के साथ-साथ एक कुशल वक्ता भी थे.

डॉ जाकिर हुसैन करियर (Dr Zakir Hussain career) –

1927 में जब वह भारत लौटे, तब कुछ विद्यार्थी और शिक्षक के साथ मिलकर राष्ट्रीय मुस्लिम यूनिवर्सिटी की नींव डॉ हुसैन (Dr.Zakir Hussain) ने 29 अक्टूबर 1920 को खुद रखी थी. जिसे 1925 में दिल्ली के करोल बाघ में स्थानान्तरित कर दिया गया था, इसे फिर 1 मार्च 1935 को दिल्ली के जामिया नगर में  स्थापित किया गया, जिसके बाद से इसका नाम जामिया यूनिवर्सिटी पड़ गया. डॉ हुसैन ने जर्मनी से आने के बाद इसकी हालत देखी, जो  अब बंद होने के कगार पर थी. तब उन्होंने इसे बंद होने से रोकने और इसकी दशा सुधारने के लिए इसका पूर्ण संचालन अपने कंधो पे ले लिया. अगले 20 वर्षों तक उन्होंने  इस संस्थान को बहुत अच्छे ढंग से चलाया. अंग्रजो के अधीन भारत मे इस यूनिवर्सिटी ने अपना एक अलग ही मुकाम बनाया. डॉ.जाकिर हुसैन(Dr.Zakir Hussain) एक व्यावहारिक और आशावादी व्यक्तित्व के इंसान थे. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें जामिया मिलिया इस्लामिया का उपकुलपति बना दिया गया. 1926-1948 तक वे जामिया मिलिया इस्लामिया के उपकुलपति रहे. कई  विश्वविद्यालयों ने इन्हें डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया. वे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति भी रहे.

डॉ जाकिर हुसैन राजनैतिक सफ़र (Dr Zakir Hussain political career) –

1948 में नेहरूजी ने डॉ हुसैन को राज्यसभा का सदस्य बनाया. 1955-1957 तक वे जिनेवा में सभापति रहे. 1956 में वे राज्यसभा अध्यक्ष बन गए, साथ ही भारतीय संसद के सदस्य बन गए. लेकिन लगभग एक वर्ष बाद ही 1957 में वह बिहार राज्य के गवर्नर नियुक्त हो गए और राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी. उन्होंने इस पद पर 1962 तक कार्य किया. 1962 में जाकिर हुसैन देश के दुसरे उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए. 13 मई 1967 मे भारत के तीसरे राष्ट्रपति बन गए, पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बनकर इतिहास बना दिया. एक शिक्षक होते हुए भी राष्ट्रपति जैसे उच्य पद तक वे अपनी योग्यता और प्रतिभा से पहुचें थे. अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था, भारत देश उनका घर है, यहाँ सब उनके भाई बहन है.

डॉ.जाकिर हुसैन भारत में शिक्षा सुधार को लेकर हमेशा तत्पर रहे. उनका हमेशा सपना रहा है सम्पूर्ण भारत को शिक्षित देखना. अपनी अध्यक्षता में इन्होंने विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग को शिक्षा का स्तर बढ़ाने के उद्देश्य से गठित भी किया. डॉ हुसैन साहित्य एवं कला प्रेमी थे.  शिक्षा के क्षेत्र के अलावा एक राजनेता के रूप मे भी डॉ हुसैन का कार्य सदेव याद किया जाता है. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता उदाराष्ट्रवादिता के सिधान्तों को व्यव्हारिक रूप प्रदान किया है.  राष्ट्रपति के पद पर डॉ हुसैन 3 मई 1969 तक पदस्थ रहे, इस समय इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री थी.

डॉ जाकिर हुसैन की रचनाएँ (Dr Zakir Hussain Books) –

डॉ हुसैन बहुत सी किताबे रचित की, जिसमें  सबसे अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की –

  • केपेतिलिज्म,
  • स्केल एंड मैथड्स ऑफ़  इकोनोमिकस
  • रिपब्लिक
  • शहीद की अम्मा
  • अँधा घोडा आदि
  • ए फ्लावर सोंग

डॉ जाकिर हुसैन अवार्ड व सम्मान (Dr Zakir Hussain Achievements) –

  • 1954 मे डॉ हुसैन को पदम्विभूषण से सम्मानित किया गया.
  • 1963 में भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े सम्मान ‘भारत रत्न’ से डॉ जाकिर हुसैन जी को सम्मानित किया.

डॉ जाकिर हुसैन मृत्यु (Dr Zakir Hussain death) –

3 मई, 1969 को डॉ.जाकिर हुसैन का असमय देहांत हो गया. वह भारत के पहले राष्ट्रपति हैं जिनकी मृत्यु अपने ऑफिस में ही हुई थी,  डॉ जाकिर हुसैन को जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में ही दफनाया गया था. असमय देहावसान के कारण वह अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सके. किन्तु भारतीय राजनिती और शिक्षा के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

साभार: deepawali.co.in/

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