नई दिल्ली – वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की रोहिंग्या शरणार्थियों से संबंधित एक मीडिया बाइट को प्रकाशित करने के बाद Journo Mirror के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर यूट्यूब ने 90 दिनों की पाबंदी लगा दी है। चैनल को आगामी तीन महीनों तक कोई नया कंटेंट अपलोड करने की अनुमति नहीं है।
Journo Mirror की ओर से इस फैसले के खिलाफ एक आधिकारिक बयान जारी किया गया है, जिसमें यूट्यूब की कार्रवाई को “प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला” बताया गया है। बयान के मुताबिक, प्रशांत भूषण की जिस वीडियो क्लिप को पोस्ट किया गया था, उसमें वह “रोहिंग्या शरणार्थियों को समुद्र में फेंकने” संबंधी बयान पर टिप्पणी कर रहे थे।
बयान में कहा गया है कि –
“वीडियो में कुछ भी ऐसा नहीं था जो यूट्यूब की कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करता हो। इसके बावजूद चैनल को दंडित किया गया।”
Journo Mirror ने यह भी बताया कि वही वीडियो क्लिप और मिलते-जुलते थंबनेल कई अन्य यूट्यूब चैनलों पर भी उपलब्ध हैं, लेकिन कार्रवाई सिर्फ उनके चैनल पर की गई। जब यूट्यूब से इस भेदभाव पर सवाल किया गया, तो जवाब मिला –
“हम केवल आपके चैनल के बारे में बात कर सकते हैं, किसी और के बारे में नहीं।”
टीम ने सवाल उठाया है कि क्या यूट्यूब की नीतियां सभी के लिए समान नहीं हैं, या फिर यह कार्रवाई जानबूझ कर Journo Mirror को निशाना बनाते हुए की गई है।
बयान में आगे कहा गया है कि –
“हम यह नहीं कह रहे कि क्योंकि अन्य चैनलों ने भी वीडियो पोस्ट किया है, इसलिए हमें माफ कर दिया जाए। हम यह कह रहे हैं कि यदि अन्य मीडिया संस्थानों ने भी उसी सच्ची खबर को दिखाया है, तो केवल हमें दंडित करना क्या यह दर्शाता नहीं कि हमारे साथ भेदभाव हुआ है?”
Journo Mirror ने इस निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि वह यूट्यूब के इस मनमाने और अन्यायपूर्ण कदम को विधिक और संस्थागत माध्यमों से चुनौती देंगे।
टीम ने अपने पाठकों और समर्थकों से इस कठिन समय में साथ खड़े रहने की अपील करते हुए कहा है कि वे सच्ची और निष्पक्ष पत्रकारिता जारी रखेंगे।