आप ने कभी सुना है भारत में एक ऐसी जगह है जो मार्च तक सर्दियों के दौरान चावल की खेती के लिए एक कृषि भूमि रहती है और फिर भूमि पानी से भर जाती है और झील बन जाती है। जी हाँ यह कोई मजाक नहीं है असम के करीमगंज जिला में एक ऐसी ही झील है जो SON BEEL के नाम से विश्व प्रसिद्ध है| यह झील कई हिजोल पेड़ों (बैरिंगटनिया एक्यूटानगुला) का घर है, जो झील के चारों ओर एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
दक्षिण असम का हिस्सा करीमगंज जिला भारत के विभाजन से पहले ग्रेटर सिलहट क्षेत्र का हिस्सा था। 1983 में एक जिला बनने वाला करीमगंज 1809 sq km में फैला हुआ है जिसकी आबादी 12 लाख से ज्यादा है जिसमें से 56 फीसद आबादी मुस्लिम है। जहां तक सियासत की बात की जाए तो इस जिले में 1 लोकसभा की सीट और 5 विधानसभा सीट है, जिस पर ज़्यादातर समय काँग्रेस काबिज रहती थी मगर हाल के दिनों में बीजेपी बहुत मजबूत हुई है।
आवाजाही के मामले में इस जिले के हालात खस्ता है सड़क मार्ग ही एक मात्र वो रास्ता है जिससे आपातकाल में इस जिले तक पहुंचा सकता है। करीमगंज की ज़्यादातर आबादी खेती करती है या यूं भी कहा जा सकता है कि खेती ही यहाँ के लोगों की कमाई का मुख्य जरिया है। करीमगंज असम के उन जिलों में से एक है जहाँ सिलहटी भाषा बहुसंख्यक आबादी द्वारा बोली जाती है।
अपने करीमुल हक़ के बारे में तो सुन ही रखा होगा यह वही इंसान है जिनकी माँ की मौत सही समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने की वजह से हो गयी थी। इस बात ने उन्हें इतना झँझोड़ दिया के उन्होने अपनी बाइक को ही एम्बुलेंस बना दिया जिससे आज तक उन्होने सैंकड़ों मरीजों की जान बचाई है। ऐसे महान इंसान की जन्म और कर्म भूमि करीमगंज ही है।
करीमगंज की परेशानियों पर अगर बात करने बैठे तों घण्टों बीत जायेंगे मगर परेशानियाँ खत्म न होंगी, इस उम्मीद के साथ के नेतागण अपने फायदे से बाहर निकल कभी तो करीमगंज जैसी मनमोहक जगह पर ध्यान देंगे…