नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष धार्मिक संबंधी जिहादी साहित्य रखना अपराध नहीं हैं। जब तक इस साहित्य का ग़लत इस्तेमाल न किया जाए। अदालत ने साफ कहा कि इन दर्शन में आतंकवादी कृत्यों संबंधी दर्शन का निष्पादन नहीं होना चाहिए।
पटियाला हाउस स्थित प्रिंसिपल जिला एंव सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत ने एक आरोपी को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि इस आरोपी के समेत अन्य के खिलाफ NIA ने आरोप लगाया था कि उनके पास से विशेष धार्मिक सामग्री मिली जोकि जिहादी गतिविधि को लेकर थी।
हालांकि अदालत ने माना कि इस आरोपी के अलावा अन्य के ख़िलाफ़ आतंक के लिए फंडिंग का मामला भी है। इसलिए उन्हें बरी नहीं किया जा सकता। इस मामले में आरोप था कि ये आईएसआईएस की हिंसक जिहादी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। NIA ने इस मामले में आरोपियों के बीच 60 हज़ार रुपये का लेन-देन को लेकर आतंक के लिए फंडिंग का भी आरोप लगाया।