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उत्तर प्रदेश: महाराजगंज में पंचायत चुनाव के दौरान मुस्लिम युवक पर प्रधान पंकज सिंह द्वारा उत्पीड़न का आरोप।

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महराजगंज, उत्तरप्रदेश: ग्राम पंचायतों में आगामी पंचायत चुनाव की गर्माहट और साम्प्रदायिक हिंसा बहुत तेज़ी से ग्रामीण छेत्रों में आजकल बढ़ती हुई नज़र आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना उत्तरप्रदेश के जनपद महाराजगंज, ग्रामपंचायत लालपुर से देखने को मिल रही है जहाँ दिनांक 30 अगस्त, शुक्रवार को करीब शाम 7 बजे एक मुस्लिम निम्न वर्गीय युवक, बबलू सिद्दीकी, को गाँव के ठाकुर प्रधान पंकज सिंह के द्वारा मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़ित किया गया है।

मुस्लिम युवक को भरी सभा में गालियाँ देने (महज़ मुस्लिम युवक को न देकर गाँव के पूरे मुसलमान को शामिल करके देना) एवं थप्पड़ मारने जैसी घटनायें लोगों ने देखी हैं, इस घटना के दौरान वहां मौजूद लोगों का कहना है कि प्रधान पंकज सिंह नशे की हालत में मौजूद थे। प्रधान का मुस्लिम युवक पर आरोप ये था कि किसी बच्चे ने प्रधान से जाकर बोला है, मुस्लिम युवक बबलू सिद्दीकी उन्हें पीठ पीछे गालियाँ दे रहा था। जबकि ये सब महज एक सांदेहिक आरोप था, मुस्लिम युवक ने इस आरोप की पुष्टी के लिए दावे भी किये।

दरसल मुस्लिम युवक के पिता (शौकत अली) का हार्ट अटैक से देहान्त घटना के 6 दिन पहले ही हुआ था, युवक उस वक़्त यहाँ मौजूद भी नहीं था। पिता की मृत्यु के 2 दिन बाद घर पंहुचा था। यह एक ऐसा दुःखद समय था जब गाँव के लोग और प्रधान इस वक़्त उसे सांत्वना देते न कि अपनी राजनीती की रोटियाँ सेकने में व्यस्त होते।

पिता के अंतिम संस्कार के बाद युवक वापस लौट कर अपने काम पर सऊदी के लिये निकलने वाला था, इस बीच वह अपने पिता का डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाणपत्र) बनवाने की जद्दोजहद में था। चूँकि युवक के पिता शौकत अली सरकारी लोन से जूझ रहे थे, और उन्हें उम्मीद थी शायद पिता की मृत्यु के बाद क़र्ज़ कुछ कम हो जाये। युवक ग्रामपंचायत सचिव से घटना के एक दिन पहले मुलाकात करने गया था डेथ सर्टिफिकेट के सिलसिले में जहाँ मोहन प्रजापति नमक युवक मौजूद था जो आगामी पंचायत चुनाव में उम्मीदवार है।

प्रधान पंकज सिंह, मुस्लिम युवक बबलू सिद्दीकी को मोहन प्रजापति के साथ देख कर अनुमान किया आगामी चुनाव में मोहन प्रजापति के समर्थन में होने का, हालांकि उन दोनों में बात हुई भी नहीं थी, और एक सच यह भी है शौकत अली युवक के पिता के जीवित होने तक पंकज सिंह को ही समर्थन दिया जाता था।

पिता के मरने के बाद ही किस तरह से उस युवक को ज़लील किया गया, जबकि उस वक़्त उन्हें युवक को गले लगाना चाहिए था उस दुःख की घड़ी में उसके साथ रहना चाहिए था।

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