Positive Story

महाराष्ट्र: लातूर के गौस शेख ने दिव्यांगता को हराकर पढ़ाई में रचा इतिहास।

Spread the love

लातूर: दिव्यांगता शरीर को सीमित कर सकती है, लेकिन अगर इरादा मजबूत हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है। यह बात महाराष्ट्र के लातूर जिले के पास महापुर गांव के गौस शेख ने साबित की है। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी है।

गौस शेख का जन्म बिना दोनों हाथों के हुआ था। उनके माता-पिता ने उन्हें कभी बोझ नहीं समझा। उनके पिता एक आश्रम स्कूल में काम करते हैं और मां गृहिणी हैं। उन्होंने गौस को हमेशा प्यार और हौसले के साथ पाला।

जब गौस ने स्कूल जाना शुरू किया, तो सभी बच्चे हाथ से लिखते थे, लेकिन गौस ऐसा नहीं कर सकते थे। उनके माता-पिता और शिक्षकों ने उन्हें पैरों से लिखना सिखाने की कोशिश की। लगातार मेहनत से गौस ने न सिर्फ पैरों से लिखना सीखा, बल्कि उनकी लिखावट इतनी साफ-सुथरी हो गई कि हर कोई हैरान रह जाता है।

गौस पढ़ाई में भी हमेशा आगे रहे। उन्होंने 10वीं में 89% और 12वीं में साइंस स्ट्रीम से 78% अंक हासिल किए। अब वे लातूर के स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय से आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे हैं।

दिव्यांग छात्रों को परीक्षा में ज्यादा समय जैसी सहूलियतें दी जाती हैं, लेकिन गौस ने कभी इनका फायदा नहीं उठाया। उन्होंने हर परीक्षा तय समय में ही पूरी की।

गौस अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। वे कहते हैं, “माता-पिता जो खुद तकलीफ सहते हैं और हमें सहारा देते हैं, हमें उन्हें कभी दुख नहीं पहुंचाना चाहिए।”

गौस ने अपनी दिव्यांगता को मजबूती में बदला है। वे खुद से कई काम कर लेते हैं। उन्होंने बताया, “हाथ न होने की वजह से मेरे माता-पिता नहलाने और खिलाने में मदद करते हैं, लेकिन मैं जितना हो सके खुद करता हूं। मैं पैरों से चम्मच पकड़कर खाना खाता हूं और मोबाइल भी चलाता हूं।”

गौस का सपना एक बड़ा अधिकारी बनने का है। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है, “मैं अधिकारी बनकर समाज की सेवा करना चाहता हूं। मेहनत और लगन से हर मुश्किल को हराया जा सकता है।”

गौस की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा, “मैंने कभी हाथ न होने का दुख नहीं किया। मैंने अपने पैरों से लिखना सीखा। मेरे परिवार और शिक्षकों ने मेरा साथ दिया। अब मैं पैरों से ब्रश पकड़कर सुंदर पेंटिंग बना सकता हूं और क्रिकेट भी खेल सकता हूं।”

उनके शिक्षक भी गौस की तारीफ करते हैं। एक शिक्षक ने कहा, “गौस हमेशा अलग जज्बे वाला बच्चा रहा है। उसकी लिखावट इतनी अच्छी है कि हाथ से लिखने वाले बच्चे भी उससे सीख सकते हैं। वह वाकई प्रेरणादायक है।”

गौस शेख की कहानी यह सिखाती है कि अगर हौसला हो तो कोई भी कमी आपको रोक नहीं सकती। मेहनत और हिम्मत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी सफलता साबित करती है कि असली ताकत शरीर में नहीं, इंसान के इरादों में होती है।

Related Posts

1 of 5

Leave A Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *