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बरेली में उलेमाओं का राष्ट्रपति को खत: मंदिर-मस्जिद और महिलाओं के सम्मान का मुद्दा उठाया।

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बरेली न्यूज़: लोकसभा चुनाव के बाद देश में मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने का एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है। इस पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत कई प्रमुख हस्तियां चिंता जता चुकी हैं। अब इस मुद्दे को लेकर बरेली स्थित खानकाह तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सान रजा खां नूरी ने राष्ट्रपति को एक खत लिखा है। यह खत आला हजरत खानदान के बुजुर्ग सदरुल उलमा हजरत तहसीन रजा खां के उर्स के मौके पर भेजा गया।

खत में उठाए गए मुद्दे

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खत में मुसलमानों के खिलाफ चल रहे झूठे प्रचार पर रोक लगाने और मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने की प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग की गई है। मौलाना हस्सान ने कहा कि किसी अन्य की जमीन पर कब्जा करके मस्जिद बनाना इस्लाम में जायज़ नहीं है। यह दावा करना कि दूसरे धर्म स्थलों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं, पूरी तरह गलत है।

खत में बांग्लादेश के मामलों का भी जिक्र करते हुए भारत के हस्तक्षेप की अपील की गई है। इसके साथ ही, उन्होंने महिलाओं के सम्मान की रक्षा का भी मुद्दा उठाया।

महिलाओं के सम्मान की मांग

खत में लिखा गया है कि किसी भी धर्म को नीचा दिखाने के लिए महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। आजकल कुछ लोग किसी समुदाय को अपमानित करने के लिए उससे जुड़ी महिलाओं के साथ अभद्रता करते हैं। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।

मीडिया डिबेट और देश की छवि

मौलाना हस्सान ने मीडिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम डिबेट से देश की छवि खराब हो रही है। इससे सामाजिक सौहार्द्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मस्जिदों पर दावे

चुनाव के बाद देश के कई हिस्सों में मस्जिदों के नीचे मंदिर होने के दावे किए गए हैं। उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को इस मुद्दे पर हिंसा हुई, जिसमें चार लोगों की जान चली गई। अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को लेकर भी दावा किया गया है कि वहां पहले शिव मंदिर था। इसी तरह, दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियों के दबे होने का दावा किया गया है।

मौलाना हस्सान ने इन घटनाओं को लेकर राष्ट्रपति से देश में सौहार्द्र बनाए रखने और झूठे दावों पर रोक लगाने की अपील की है।

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