उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पिछले साल महसी क्षेत्र के महाराजगंज में हुई सांप्रदायिक झड़प के मामले में प्रशासन ने एक साल बाद कथित आरोपियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू किया है। इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक दलों और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बताया है।
जानकारी के मुताबिक, पुलिस रिपोर्ट और वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिश पर जिला मजिस्ट्रेट ने आठ आरोपियों के खिलाफ NSA 1980 की धारा 3(2) के तहत आदेश जारी किया। यह विवाद पिछले साल मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान महसी-महाराजगंज क्षेत्र में हुआ था।
पुलिस ने घटना के तुरंत बाद रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। क्षेत्राधिकारी महसी, अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण और पुलिस अधीक्षक बहराइच की सिफारिश के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने आठ प्रमुख आरोपियों के खिलाफ NSA के तहत पाबंदी का आदेश दिया।
इन आठ अभियुक्तों में मारूफ अली पुत्र मेंहदी हसन, ननकऊ पुत्र नानमून (रेहुवा मंसूर, थाना रामगांव), मो. फहीम पुत्र अब्दुल हमीद, मो. अफज़ल उर्फ कल्लू पुत्र मो. अनवार, मो. ज़ीशान उर्फ राजा उर्फ साहिर पुत्र मो. अली, जावेद पुत्र जाहिद खान, शोएब खान पुत्र मुबारक खान और सैफ अली पुत्र अनवर (कस्बा महाराजगंज, थाना हरदी) शामिल हैं।
जिला मजिस्ट्रेट ने बताया कि यह कार्रवाई कानून व्यवस्था, सामाजिक सौहार्द और जनसुरक्षा बनाए रखने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में अगर कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था या सार्वजनिक शांति को बाधित करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बहराइच हिंसा 13 अक्टूबर 2024 को महसी तहसील के महाराजगंज क्षेत्र (रेउवा मंसूर गांव) में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान हुई। जुलूस में भड़काऊ और एक समुदाय को टार्गेट करने वाले विवादित गाने बजाए जा रहे थे। जब यह जुलूस मस्जिद के पास पहुँचा तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसे बंद करने की मांग की। इसके बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने भड़काऊ प्रतिक्रिया देते हुए मुसलमानों पर पथराव किया।
इस दौरान राम गोपाल मिश्रा नामक व्यक्ति अल्पसंख्यक समुदाय के घर में घुसकर छत पर चढ़ा और धार्मिक झंडा बदलकर भगवा झंडा लगा दिया। इसी दौरान किसी अज्ञात व्यक्ति ने राम गोपाल मिश्रा को गोली मार दी, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दक्षिणपंथी संगठनों ने बहुसंख्यक समुदाय के साथ मिलकर मुस्लिम इलाकों में आग लगाई।
अब एक साल बाद हुई NSA की कार्रवाई में केवल मुस्लिम आरोपियों पर कार्रवाई हुई है, जबकि बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बात ने प्रशासन की मंशा और नियत पर सवाल उठाए हैं।