नई दिल्ली: समाचार प्रसारण एवं डिजिटल मानक प्राधिकरण (NBDSA) ने ‘मेहंदी जिहाद’ और ‘लव जिहाद’ से जुड़े प्रसारण को लेकर ZEE News और Times Now Navbharat पर कड़ी आपत्ति जताई है। प्राधिकरण ने दोनों चैनलों को आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाते हुए भड़काऊ वीडियो और टिकर तुरंत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्देश दिया है।
जस्टिस (रिटायर्ड) ए.के. सीकरी की अध्यक्षता वाले NBDSA ने अक्टूबर 2024 में कार्यकर्ता इंद्रजीत घोरपड़े की शिकायतों पर ये आदेश जारी किए। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि चैनलों ने गलत जानकारी फैलाई और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा दिया।
ZEE News और ‘मेहंदी जिहाद’ विवाद
ZEE News के खिलाफ शिकायत चार कार्यक्रमों को लेकर थी, जिनमें कथित ‘मेहंदी जिहाद’ की कहानियां दिखाई गई थीं। इन कार्यक्रमों में आरोप लगाया गया था कि मुस्लिम मेहंदी कलाकार हिंदू महिलाओं पर मेहंदी लगाने से पहले उसमें थूकते हैं और उनकी जानकारी लेकर धर्म परिवर्तन के लिए फंसाते हैं।
कार्यक्रमों में कुछ समूहों के हिंसक नारों और मुस्लिम कलाकारों के बहिष्कार के आह्वान को भी प्रसारित किया गया। प्रसारण के दौरान इस्तेमाल किए गए भड़काऊ शीर्षक जैसे — “मेहंदी जिहाद पर दे दना-दन”, “लट्ठ मॉडल लॉन्च” और “लाठी से रोकेंगे जिहादियों को” — पर भी NBDSA ने कड़ी आपत्ति जताई।
शिकायत में कहा गया था कि चैनल ने तथ्यों की जांच नहीं की, धमकियों की निंदा नहीं की और विरोधी विचारों को जगह नहीं दी। NBDSA ने पाया कि टिकर और प्रस्तुति के जरिए ऐसा संदेश गया कि चैनल खुद उन दावों का समर्थन कर रहा है। इसलिए ZEE News को वीडियो हटाने और भविष्य में ऐसे मामलों में सतर्क रहने की चेतावनी दी गई।
NBDSA ने कहा कि प्रसारक ने यह स्पष्ट नहीं किया कि विवादित बयान तीसरे पक्ष के थे और चैनल के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। प्राधिकरण ने मीडिया को याद दिलाया कि संवेदनशील विषयों पर रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारिता के मानकों का पालन करना जरूरी है।
Times Now Navbharat और ‘लव जिहाद’ कवरेज
Times Now Navbharat के खिलाफ शिकायत बरेली की एक अदालत के फैसले की रिपोर्टिंग को लेकर की गई थी, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति को एक हिंदू महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराने और शादी के लिए मजबूर करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
चैनल पर आरोप था कि उसने अदालत के फैसले की रिपोर्टिंग में महिला की गवाही को नजरअंदाज किया और भाजपा नेताओं के बयानों को प्रमुखता दी, जिससे ‘लव जिहाद’ की कहानी को बल मिला।
NBDSA ने कहा कि अदालत के फैसले का प्रसारण करना आपत्तिजनक नहीं है, लेकिन चैनल ने कुछ भड़काऊ टिकर इस्तेमाल किए, जैसे — “यूपी में लव जिहाद… टूलकिट पाकिस्तानी” और “झूठे नाम का अफसाना, मकसद मुसलमान बनाना” — जो फैसले का हिस्सा नहीं थे और रिपोर्ट के उद्देश्य से मेल नहीं खाते।
इसलिए NBDSA ने टाइम्स नाउ नवभारत को ऐसे टिकर हटाने का आदेश दिया। हालांकि, उसने यह भी कहा कि इन विवादित टिकर के अलावा, फैसले की रिपोर्टिंग आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करती।
मीडिया को चेतावनी
NBDSA ने दोनों चैनलों को याद दिलाया कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते समय आचार संहिता और पत्रकारिता के मानकों का पालन करे ताकि सार्वजनिक संवाद में संतुलन और निष्पक्षता बनी रहे।