महाराष्ट्र के जालना ज़िले में सोमवार की रात एक हैरान करने वाली घटना सामने आई। कुछ अज्ञात लोगों ने मवेशी ले जा रहे सात लोगों पर हमला कर दिया। घायलों में एक 62 वर्षीय बुज़ुर्ग भी शामिल हैं। बताया गया कि ये लोग साप्ताहिक बाजार से बैल खरीदकर दूसरी जगह ले जा रहे थे। मंगलवार को पुलिस ने इस मामले में 10 से 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पुलिस के अनुसार, 62 साल के शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके मालिक, व्यापारी पदम राजपूत (निवासी बोरगांव वाड़ी, सिलोड तहसील, छत्रपति संभाजीनगर) ने फुलंब्री तहसील के वडोद बाजार से 21 बैल खरीदे थे। इन बैलों को दो गाड़ियों (MH-20 EL 7887 और KA 51 DA 4363) में लादकर लातूर ज़िले के नालेगांव (चाकुर तहसील) ले जाया जा रहा था।
जब गाड़ियाँ जालना तहसील के लोंडेवाड़ी गाँव के पास पहुँचीं, तो कुछ लोगों ने रास्ता रोक लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये मवेशी काटने के लिए ले जाए जा रहे हैं। पीड़ितों ने समझाया कि मवेशी खेती के काम के लिए खरीदे गए हैं और उनके पास सारे वैध कागज़ हैं, लेकिन हमलावरों ने बात नहीं मानी और डंडों-लाठियों से उन्हें बुरी तरह पीटा।
हमले की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुँची, घायलों को बचाया और मवेशियों को कब्जे में लेकर रामनगर स्थित एक गौशाला में भेज दिया। लेकिन शिकायत के अनुसार, वही हमलावर गौशाला तक पहुँचे और वहाँ भी पीड़ितों को पीटते रहे — यहाँ तक कि पुलिस की मौजूदगी में भी।
सामाजिक कार्यकर्ता रीमा काले-खारात ने बीच-बचाव किया और पुलिस से पीड़ितों का बयान दर्ज करने की मांग की। उनका आरोप है कि पुलिस ने शुरू में हमलावरों के बजाय पीड़ितों को ही हिरासत में ले लिया और उन पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज कर दिया। बाद में उनकी दखल के बाद पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
घायलों की पहचान निसार पटेल, आसिफ शेख, रियाज़ कुरैशी, साजिद पाशा, आसिफ सादिक, जावेद कुरैशी और सैयद परवेज़ के रूप में हुई है। सभी को सिर और शरीर पर चोटें आई हैं।
शिकायतकर्ता निसार पटेल का कहना है कि हमलावर स्कॉर्पियो गाड़ी में आए थे और गौशाला में भी उन्हें पीटते रहे। उन्होंने सवाल उठाया, “जब हमने हमलावरों को पहचान लिया, तो पुलिस ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ केस क्यों दर्ज कर रही है?” उनका आरोप है कि पुलिस ने पहले उनकी शिकायत लेने से मना किया, करीब 12 घंटे तक हिरासत में रखा, और कई बार कहने के बाद ही मामला दर्ज किया।
उपविभागीय पुलिस अधिकारी (SDPO) अनंत कुलकर्णी ने इस आरोप से इनकार किया कि हमला पुलिस की मौजूदगी में हुआ। उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों में कुछ विवाद हुआ था, जांच चल रही है।”
इस बीच, फेडरेशन ऑफ महाराष्ट्र मुस्लिम्स (FMM) की जालना इकाई ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। FMM के संयोजक सफीर अहमद ने बताया कि अगस्त 2025 में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के निर्देश पर महाराष्ट्र पुलिस ने सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि केवल पुलिस अधिकारी ही मवेशियों के अवैध परिवहन पर कार्रवाई कर सकते हैं।
उस सर्कुलर में यह भी साफ लिखा गया था कि कोई भी निजी व्यक्ति मवेशियों से भरे वाहनों को रोक या जांच नहीं सकता। अजित पवार ने पुलिस को गौ-रक्षक समूहों की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। लेकिन सफीर अहमद का कहना है कि इसके बावजूद राज्य में इस तरह के हमले लगातार जारी हैं।