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जामिया की प्रोफेसर Nida Jamil Khan को आईसीएमआर से मिला ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर पर रिसर्च के लिए प्रतिष्ठित ग्रांट।

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) की प्रोफेसर निदा जमी़ल खान (Nida Jamil Khan), जो बायोसाइंसेज़ विभाग में प्रोफेसर हैं, को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से करीब ₹53 लाख का प्रतिष्ठित रिसर्च ग्रांट मिला है। यह ग्रांट प्रोफेसर खान के कैंसर बायोलॉजी और मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स में बेहतरीन योगदान की पहचान है और इसका इस्तेमाल ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (टीएनबीसी) पर एपिजेनेटिक थेरेप्यूटिक्स से जुड़ी रिसर्च के लिए किया जाएगा।

आईसीएमआर का यह ग्रांट भारत में बायोमेडिकल रिसर्च के सबसे सम्मानजनक ग्रांट्स में से एक है। इसके तहत प्रोफेसर खान और उनकी टीम टीएनबीसी के बढ़ने में शामिल प्रमुख एपिजेनेटिक बायोमार्कर्स को निशाना बनाने वाले बीईटी इन्हिबिटर्स (BET inhibitors) को डिजाइन, डेवलप और टेस्ट करेंगी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य नई दवाओं के संभावित टारगेट्स ढूंढना है, जो भविष्य में इस आक्रामक और जटिल ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं।

अपनी उपलब्धि पर बात करते हुए प्रोफेसर निदा जमी़ल खान (Nida Jamil Khan) ने कहा —
“आईसीएमआर से यह ग्रांट मिलना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। यह मौका मुझे कंप्यूटेशनल शोध को असली इलाज में बदलने की दिशा में काम करने का अवसर देता है। मैं अपने रिसर्च टीम, अपनी यूनिवर्सिटी जेएमआई और आईसीएमआर का धन्यवाद करती हूँ।”

यह ग्रांट दो साल के लिए दिया गया है, जिससे उन्नत प्रयोग, देश-विदेश के विशेषज्ञों से सहयोग और नई थेरेपी विकसित करने के काम को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल आईसीएमआर के मिशन के अनुरूप है, जो भारत में अत्याधुनिक रिसर्च और स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिए काम करता है।

प्रोफेसर निदा जमी़ल खान (Nida Jamil Khan) एक प्रसिद्ध कैंसर बायोलॉजिस्ट हैं, जिन्हें कैंसर बायोलॉजी, मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स और सेल बायोलॉजी में 16 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उनका शोध ब्रेस्ट कैंसर, एपिजेनेटिक बायोमार्कर की खोज, ड्रग टारगेट पहचान और मॉलिक्यूलर रास्तों (pathways) के अध्ययन पर केंद्रित है। उन्होंने कई पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया है और कई अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में अपने शोध प्रकाशित किए हैं।

उन्हें एम्स (नई दिल्ली), सीसीएमबी (हैदराबाद) और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूके) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण मिला है। उनका यह शैक्षणिक और शोध अनुभव जेएमआई की वैज्ञानिक नवाचार और व्यावहारिक रिसर्च (translational research) के क्षेत्र में उत्कृष्टता को और मजबूत करता है।

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