जब एर्नाकुलम कांग्रेस सांसद हिबी ईडन की मध्यस्थता के बाद मामला सुलझता हुआ दिख रहा था — स्कूल प्रशासन और छात्रा के पिता दोनों ने स्कूल के नियमों का पालन करने पर सहमति जताई थी — तभी मंगलवार को केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने फिर विवाद खड़ा कर दिया।
मामला तब शुरू हुआ जब एक छात्रा ने सेंट रीटा पब्लिक स्कूल में हिजाब पहनना शुरू किया, जबकि स्कूल की ड्रेस कोड में हिजाब की अनुमति नहीं थी।
जब माता-पिता ने इस पर अड़े रहकर कहा कि उनकी बेटी हिजाब पहनकर ही पढ़ेगी, तो स्कूल ने कहा कि सभी छात्रों को यूनिफॉर्म के नियमों का पालन करना होगा, और किसी एक को छूट देना बाकी छात्रों पर दबाव बना सकता है।
इसके बाद विवाद बढ़ गया और स्कूल को दो दिनों के लिए बंद करना पड़ा। मंगलवार को स्थानीय सांसद हिबी ईडन ने पहल की और स्कूल तथा छात्रा के माता-पिता से बातचीत के बाद समाधान निकला — छात्रा के माता-पिता ने स्कूल के नियमों का पालन करने पर सहमति दी।
लेकिन जब मामला शांत हो गया था, तब मंत्री शिवनकुट्टी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया —
“सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। छात्रा के पिता की शिकायत पर एर्नाकुलम एजुकेशन सब-डिस्ट्रिक्ट ऑफिस ने जांच की और पाया कि स्कूल प्रशासन की ओर से गंभीर लापरवाही हुई है।”
उन्होंने लिखा, “जांच रिपोर्ट के अनुसार, छात्रा को हिजाब पहनने की वजह से कक्षा से बाहर भेजना ‘बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार कानून’ का गंभीर उल्लंघन है, और यह भारतीय संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के भी खिलाफ है।”
“जांच रिपोर्ट के आधार पर स्कूल को निर्देश दिया गया है कि वह छात्रा को उसकी धार्मिक मान्यता के अनुसार हिजाब पहनकर पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दे। हिजाब का रंग और डिजाइन स्कूल यूनिफॉर्म से मेल खाने के लिए स्कूल प्रबंधन तय कर सकता है। स्कूल के प्रिंसिपल और प्रबंधक को 15 अक्टूबर सुबह 11 बजे तक पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा गया है।”
मंत्री शिवनकुट्टी ने कहा, “केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में किसी भी छात्र को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहिए। किसी भी शैक्षणिक संस्था को छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार इस मामले में सतर्क रहेगी।”
मंत्री की इस पोस्ट के बाद स्कूल प्रशासन में फिर हलचल मच गई। स्कूल के प्रवक्ता ने कहा, “जब छात्रा के माता-पिता नियमों का पालन करने को तैयार थे, तब मंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब हमें इस मुद्दे पर कानूनी कदम उठाने पड़ेंगे।” — आईएएनएस