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जयपुर में सादगी की मिसाल: बिना दहेज और तामझाम के संपन्न हुआ निकाह।

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राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा निकाह संपन्न हुआ जिसने फिजूलखर्ची और दिखावे के बढ़ते चलन पर एक गहरा संदेश दिया। जयपुर के प्रसिद्ध उद्योगपति और होटल व्यवसायी नईमुद्दीन कुरैशी (इंडियाना होटल) ने अपने बेटे शादाब का निकाह बेहद सादगी से किया, जिसमें मेहमानों की खातिरदारी सिर्फ शरबत और खजूर से की गई। यह शादी इस्लामिक परंपराओं के अनुसार संपन्न हुई और फिजूलखर्ची से बचने का संदेश देने के लिए मिसाल बन गई।

नूरानी मस्जिद में हुआ निकाह

निकाह 24 दिसंबर की शाम जयपुर के झोटवाड़ा स्थित नूरानी मस्जिद में संपन्न हुआ। शहर की प्रमुख जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती सैयद अमजद अली ने इस पवित्र रस्म को अदा किया। निकाह के दौरान मस्जिद में 250-300 लोग मौजूद थे, जिन्होंने नवविवाहित जोड़े को दुआएं दीं। इस शादी में खास बात यह रही कि बारातियों और मेहमानों का स्वागत शरबत और खजूर से किया गया।

दहेज और फिजूलखर्ची के खिलाफ संदेश

इस निकाह का सबसे अहम पहलू यह था कि इसमें दहेज जैसी कुप्रथा को पूरी तरह से नकार दिया गया। दोनों परिवारों ने बिना किसी भव्य आयोजन और दिखावे के शादी को इस्लामिक तरीके से संपन्न किया। नईमुद्दीन कुरैशी और छुट्टन कुरैशी ने इसे एक सादगी भरी मिसाल के रूप में पेश किया।

छुट्टन कुरैशी ने कहा, “शादी को शरीयत के अनुसार और सादगी से किया जाना चाहिए। फिजूलखर्ची और दिखावे की इस्लाम में कोई जगह नहीं है।” उन्होंने समाज से अपील की कि वे भी अपनी शादियों को सादगी के साथ संपन्न करें और दहेज जैसी प्रथाओं को त्यागें।

नवविवाहित जोड़े की अपील

दूल्हा शादाब और दुल्हन सानिया ने भी शादी को आसान और सादगी भरा बनाने की जरूरत पर जोर दिया। शादाब ने कहा, “हमने दिखावे और फिजूलखर्ची से बचते हुए अपनी शादी को सादगी से संपन्न किया है। हमारा मकसद है कि समाज इस मिसाल से प्रेरित हो और दहेज जैसी प्रथाओं को खत्म करे।”

नईमुद्दीन कुरैशी की पहल

शादी के आयोजक नईमुद्दीन कुरैशी ने कहा, “हमारा प्रयास था कि इस निकाह को सादगी और इस्लामी परंपराओं के मुताबिक संपन्न किया जाए। शादी एक पवित्र बंधन है और इसे दिखावे से दूर रखना चाहिए।”

समाज में बदलाव का संदेश

दुल्हन सानिया के भाई इमरान कुरैशी ने कहा, “दहेज एक सामाजिक बुराई है, जिसके कारण कई परिवार शादियों के खर्च का बोझ उठाने में असमर्थ हो जाते हैं। हमें शादियों में फिजूलखर्ची से बचना चाहिए और इस पैसे को बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य पर खर्च करना चाहिए।”

सादगी की मिसाल

इस निकाह ने साबित किया कि शादी को बिना दिखावे और बिना दहेज के भी प्यार और सम्मान के साथ संपन्न किया जा सकता है। जयपुर में हुई इस सादगी भरी शादी ने समाज को एक नई दिशा दी है। अब वक्त आ गया है कि लोग इस तरह की पहल को अपनाएं और फिजूलखर्ची और दहेज जैसी प्रथाओं को समाप्त करें। यह शादी एक मिसाल है कि सच्ची खुशी और समृद्धि सादगी और ईमानदारी में ही निहित है।

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