अनम रईस खान (Anam Rais Khan) ने दिल्ली न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 में 71वीं रैंक हासिल कर न केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) (Aligarh Muslim University) की पहली मुस्लिम (First Muslim) महिला छात्रा के रूप में यह प्रतिष्ठित परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने 26 वर्ष की उम्र में यह सफलता प्राप्त की और दिल्ली में न्यायाधीश बनीं।
अनम ने 2015 में एएमयू से बी.ए.एलएल.बी (ऑनर्स) की पढ़ाई पूरी की और 2016 में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली से एलएलएम की डिग्री हासिल की। अपनी शिक्षा के दौरान वह यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडलिस्ट रहीं और संवैधानिक कानून में भी गोल्ड मेडल प्राप्त किया। विश्वविद्यालय परिसर में सामाजिक रूप से सक्रिय रहते हुए, उन्होंने कई विधिक साक्षरता जागरूकता कार्यक्रमों, दान शिविरों और पर्यावरण अभियानों का आयोजन किया।
अनम ने 2017 में यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की और दिल्ली बार काउंसिल के साथ नामांकन किया। इसके बाद वह अपने पति के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गईं, जहां उनके पति अदिल खान टीसीएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। अनम ने सिडनी में एक प्रतिष्ठित इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म में काम करना शुरू किया। लेकिन न्यायिक सेवाओं में जाने की उनकी प्रबल इच्छा हमेशा बनी रही। उन्होंने लगभग 1.5 साल तक तैयारी की और जनवरी 2019 में दिल्ली न्यायिक सेवा की परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की।
अनम की इस यात्रा में उनके पति अदिल खान ने हमेशा उनका साथ दिया और हर परिस्थिति में उनका समर्थन किया। अनम के पिता ए.आर. खान जो भारतीय रेल में स्टेशन सुपरिंटेंडेंट के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, ने हमेशा चाहा कि उनकी बेटी इस सम्मानजनक पद को सुशोभित करे। राहुल यादव उनके कोचिंग संस्थान ‘राहुल आईएएस कोचिंग’ के गुरु ने भी उनकी पूरी यात्रा में मार्गदर्शन किया।
अनम अपनी मां प्रो. समीना खान बहन अलवीना खान और अपने ससुराल वालों का भी आभार व्यक्त करती हैं, जिन्होंने हमेशा उनका समर्थन किया। अनम का कहना है कि वह हमेशा से न्यायाधीश बनना चाहती थीं क्योंकि इस पद से उन्हें समाज में कई अन्यायों को सुधारने की शक्ति और जिम्मेदारी मिलेगी। अब वह कानून के विकास में योगदान देने, राष्ट्र की सेवा करने और बेहतर कानून की विद्यार्थी बनने की दिशा में काम करेंगी। अनम कहती हैं कि दिन के अंत में जब वह समाज में बदलाव लाकर साफ़ दिल से सोएंगी, तो यह उनके लिए सबसे बड़ी संतुष्टि होगी।
अनम का सलाह है कि न्यायिक सेवाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवार केवल किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि कुछ नया सोचने की कोशिश करें।
साभार: radiancenews.com