बेंगलुरु के येलहंका इलाके में बांदे रोड स्थित फ़क़ीर लेआउट और वसीम लेआउट कॉलोनियों में करीब 200 घरों को बुलडोज़र से गिराए जाने पर ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने गहरी चिंता और दुख जताया है।
उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के समय, घनी आबादी वाले इलाके से ज़्यादातर गरीब मुसलमानों और दलितों को बेघर करना अमानवीय है। घर इंसान की बुनियादी ज़रूरत है और यह बिल्कुल गलत है कि एक ज़िम्मेदार सरकार लोगों को घर देने के बजाय उनके घर तोड़ दे।
ग्रैंड मुफ्ती ने कहा कि ज़मीन अधिग्रहण या इस तरह की किसी भी कार्रवाई से पहले सरकार को लोगों को पूरा समय देना चाहिए, मानवीय रवैया अपनाना चाहिए और पहले से उचित पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए।
उन्होंने सरकार से अपील की कि जिन गरीब लोगों के घर, रोज़गार और ज़रूरी दस्तावेज़ नष्ट हो गए हैं, उनके लिए तुरंत पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों से भी संपर्क किया है और तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।
ग्रैंड मुफ्ती ने मांग की कि सरकार आगे बढ़कर प्रभावित परिवारों के लिए उपयुक्त ज़मीन की पहचान करे और पक्के मकान की व्यवस्था करे। जब तक यह नहीं होता, तब तक अस्थायी रहने की सुविधा और ठंड से बचाव के सभी ज़रूरी इंतज़ाम किए जाएं।
उनकी अपील के बाद, बेंगलुरु में SYS संथवनम के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए हैं और बेघर हुए लोगों की मदद और राहत कार्यों में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।















