हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से लेकर 2021 के बीच बिलकिस मामले के तीन गवाहों ने 11 दोषियों में से 4 के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट दर्ज करवाई है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि इन अपराधियों ने उनको इस मामले में पैरोल पर बाहर रहते समय उनको धमकाया है।
6 जुलाई 2020 को सिंगबाड की रहने वाली साबेराबेन पटेल ने दाहोद के राधिकपुर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड सहिंता की धारा 354 (assault or criminal force with intention to outrage modesty), 504 (intimidation), 506 (2) (threat to kill) और 114 (abetment) के तहत राधेश्याम शाह और मितेश भाई भट के ख़िलाफ़ एक FIR दर्ज कराई। पटेल ने अपने बयान में कहा कि तीन लोगों ने उन्हें धमकाते हुए कहा कि उनकी गवाही की वजह से ही शाह सलाखों के पीछे है।
ठीक इसी तरह मंसूरी अब्दुल रज़्ज़ाक, अब्दुल माजिद ने दाहोद पुलिस को शैलेश चिम्मनलाल भट्ट के खिलाफ 1 जनवरी 2021 को पुलिस शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनको लगातार धमकियां मिल रही हैं। उनको पहले स्टेट रिज़र्व पुलिस की तरफ से सुरक्षा मुहैया कराई गई थी जिसको 2 साल पहले से हटा लिया गया था। आगे माजिद ने बताया कि उनकी ज़िंदगी को पैरोल पर रिहा इन अपराधियों से ख़तरा है। उन्होंने इस कंप्लेंट में भट्ट को दोबारा जेल भेजने की अपील भी की थी।
आक्रोश की लहर
आपकी जानकारी के लिए बता दें के गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और 14 लोगों के हत्या के दोषी 11 लोग जिनके नाम जसवंत नई, गोविंद नई, शैलेश भट्ट, राधेशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोर्धिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना हैं को रिहा कर दिया था. रिहाई के बाद से ही पूरे देश में आक्रोश की लहर है. सोशल मीडिया से ले कर तमाम राजनीतिक पार्टियां इन अपराधियों को दुबारा जेल भेजने की मांग कर रही हैं.