भोपाल: एक सांसद के बार-बार कथित रूप से भड़काऊ और समाज को बांटने वाले बयानों पर लोकसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की गई है।
भोपाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद आलोक शर्मा अपने हालिया बयानों को लेकर विवादों के केंद्र में रहे हैं। अब उनके खिलाफ एक शिकायत लोकसभा अध्यक्ष को भेजी गई है, जिसमें कहा गया है कि उनके बयान संविधान और कानून की भावना के खिलाफ हैं। यह शिकायत राष्ट्रपति को भी अवलोकन हेतु भेजी गई है।
शिकायत में कहा गया है कि सांसद के रूप में आलोक शर्मा ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उनका कर्तव्य है कि वे पूरे राष्ट्र की सेवा करें और किसी भी समुदाय के प्रति पक्षपात न करें।
उन्हें न ही भेदभाव दिखाना चाहिए और न ही ऐसा कुछ कहना चाहिए जो देश की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाए। आलोक शर्मा तब चर्चा में आए जब उन्होंने कहा कि वे ‘टोपी पहनने और दाढ़ी रखने वालों को सबक सिखाने के लिए पैदा हुए हैं’। उन्होंने कथित रूप से यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को जिम में एंट्री नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी बयान दिया कि किसी अन्य समुदाय की महिलाओं से प्रेम संबंध बनाने वाले युवाओं की नसबंदी कर देनी चाहिए।
सीपीआई(एम) के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, जिन्होंने सांसद के खिलाफ शिकायत की है, ने कहा, “यह पूरी तरह अनुचित है क्योंकि एक सांसद अपने पूरे निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है और उसे ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जो समाज को धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर बांटे।”
अपने पत्र में जसविंदर सिंह ने कहा, “आलोक शर्मा के बयानों से यह प्रतीत होता है कि वे लगातार संविधान की मूल भावना के खिलाफ बोल रहे हैं। ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर वे समुदाय विशेष के लिए अपमानजनक और नफरत फैलाने वाली भाषा का उपयोग कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुस्लिम युवाओं की नसबंदी की बात करना न केवल सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ है, बल्कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है, जो नागरिकों को समानता और जीवन के अधिकार की गारंटी देता है।”
शिकायत में सिंह ने सांसद के बयानों की जांच की मांग की है और लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि वे ऐसे बयानों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि देश में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।