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Twin Towers के जमींदोज होने के बावजूद सुलगते सवाल?

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पिछले कुछ दिनों से पूरी राष्ट्रीय मीडिया केवल और केवल एक मुद्दे के इर्द गिर्द मंडरा रही है. जी हाँ आपकी सोच ने सही अंदाजा लगाया वही Twin Towers जिनको 29 अगस्त 2022 को दोपहर 2:30 बजे 3700 किलो बारूद के इस्तेमाल के साथ जमींदोज़ कर दिया गया. यह कई हजारों टन कंक्रीट का मलबा अपने साथ हजारों सवालों को भी जन्म देता है जिन पर बातचीत होना बेहद जरूरी है.

जो नोएडा अथॉरिटी इस समय पूरी मुस्तैदी के साथ इन टावरों को नेस्तनाबूद करने का काम अंजाम दे रही है वह इस सवाल से अपना पीछा कैसे छुड़वायेगी कि आखिर कैसे उनकी नाक के नीचे 29 और 32 मंजिला दो इमारतें खड़ी हो जाती हैं. जिनको आज अवैध बता कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर धराशायी कर दिया गया.

500 करोड़ रुपए के नुकसान

ट्विन टावर गिरने के बाद इन्हें बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड ने 500 करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही है। कंपनी के चेयरमैन आरके अरोरा ने रविवार को कहा, ‘हमारा कुल करीब 500 करोड़ रुपए का है। इसमें जमीन की खरीद, कंसट्रक्शन और ब्याज पर खर्च हुई रकम शामिल है।’

अब यहाँ एक सवाल और निकलकर आता है कि कैसे एक नामी कंपनी सैंकड़ों लोगों का पैसा इस अवैध इमारत में इन्वेस्ट करवा लेती है. अगर आप कभी नोएडा में जा कर सुपरटेक की बिल्डिंगों और सोसाइटी का जायजा लेंगे तो पता चलेगा कि पूरे इलाके में सबसे थर्ड क्लास का कंस्ट्रक्शन का काम इसी कंपनी की बिल्डिंगों में हुआ है. वहां रहने वाले तमाम लोग रोजाना किसी न किसी मसले को हल करवाने की जद्दोजहद में मुब्तला रहते है.

एक सवाल और दिमाग में गर्दिश करता है कि जो लोग आज इन टावर्स के गिरने पर ताली पीट रहे थे उनकी तुलना गिद्ध से करना कमतर न होगा. कैसे हम किसी कंपनी या सैंकड़ों लोगों की बर्बादी पर इस कदर जश्न मना सकते है. नोएडा के लोगों का यह जश्न देश के तमाम लोगों की उस अवधारणा को सच साबित कर रहा है जिसमें कहा जाता है कि नोएडा में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा “Self-Centered” लोग हैं.

आखिरी बात अचानक से कोई बिल्डिंग अवैध नहीं हो जाती है उसके बनने के पूरे प्रोसेस में भ्र्ष्टाचार और बेईमानी का वह जंजाल है जो उस अवैध को भी वैध बनाती है. सिर्फ इन टावर्स को गिरा देने से खेल ख़त्म नहीं होगा उस अधिकारीयों को भी सख्त सजा दी जाये जिन्होंने ने इस बहु मंजिला इमारत को केवल अपने निजी फायदे (रिश्वत) के लिए बनने दिया. उन हजारों लोगों का क्या होगा जिन्होंने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई में से पैसे निकाल इसमें इन्वेस्ट किये थे. इस भूतपूर्व इमारत के अगल बगल की उन इमारतों का क्या हश्र होगा जिन पर ट्विन टावर्स के गिराने के लिए इस्तेमाल हुये बारूद की वजह से यक़ीनन असर होगा.

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