नई दिल्ली: एनआईटी श्रीनगर की डॉ. फातिमा जालिद को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए ‘शी इज़ – 75 विमेन इन केमिस्ट्री’ किताब में शामिल किया गया है। यह किताब बियॉन्ड ब्लैक, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय (PSA) और रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (RSC), यूके के सहयोग से प्रकाशित हुई है। इसे 6 फरवरी को भोपाल के आईआईएसईआर में लॉन्च किया गया।
क्या खास है किताब में?
यह किताब रसायन विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाली 75 भारतीय महिलाओं की प्रेरक कहानियों को दर्शाती है। इसमें छोटे शहरों (टियर-2 और टियर-3) से आईं महिलाओं के संघर्ष और सफलता की राह को उजागर किया गया है। लेखक एल्सा मैरी डी’सिल्वा और सुप्रीत के सिंह के मुताबिक, ये महिलाएं साबित करती हैं कि मेहनत और लगन से वैज्ञानिक शोध में उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है।
डॉ. जालिद का शोध और योगदान
एनआईटी श्रीनगर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. फातिमा जालिद का शोध मटीरियल साइंस, पर्यावरण रसायन और बायोटेक्नोलॉजी में नए रासायनिक प्रक्रियाओं को विकसित करने पर केंद्रित है। उनके काम ने वैज्ञानिक ज्ञान को नई दिशा दी है।
महिलाओं के लिए प्रेरणा
पुरुषप्रधान क्षेत्र में डॉ. जालिद ने छात्राओं के लिए मिसाल कायम की है। उन्होंने एनआईटी में महिला छात्राओं को शोध के प्रति प्रोत्साहित किया है और STEM (विज्ञान, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, गणित) में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए वर्कशॉप, सेमिनार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। उनका मानना है कि विज्ञान सभी के लिए सुलभ होना चाहिए, ताकि इसका लाभ समाज के हर वर्ग को मिले।
कहां मिलेगी किताब?
‘शी इज़ – 75 विमेन इन केमिस्ट्री’ किताब ऑनलाइन ₹1,645 में उपलब्ध है। यह डॉ. जालिद सहित सभी वैज्ञानिकों के संघर्ष और सफलता की गाथा को प्रेरणादायक तरीके से बयां करती है।
डॉ. जालिद का संदेश: “विज्ञान कोई सीमा नहीं जानता। हमें समाज की हर बाधा को पार करते हुए ज्ञान को समावेशी बनाना होगा।”
इस सम्मान से न केवल डॉ. जालिद, बल्कि देश की उन सभी युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो चुनौतियों के बावजूद शोध के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ना चाहती हैं।