भारतीय नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) जिन्हें यमन में हत्या के मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी, अब उन्हें एक बड़ी राहत मिली है। भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंतापुरम ए.पी. अबू बकर मुस्लियार के कार्यालय ने दावा किया है कि यमन की राजधानी सना में एक उच्चस्तरीय बैठक में उनकी मौत की सज़ा को रद्द कर दिया गया है। इससे पहले यह सज़ा स्थगित की गई थी।
निमिषा प्रिया को एक यमनी नागरिक तालाल महदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और उन्हें 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी। इस मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपीलें और भारत से भी कई मानवाधिकार संगठनों और नागरिकों की ओर से प्रयास किए जा रहे थे।
हालांकि, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने अभी तक इस सज़ा रद्द होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
ग्रैंड मुफ्ती कंतापुरम की पहल कांग्रेस विधायक चांडी ओम्मन के आग्रह पर शुरू हुई। उन्होंने यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज से संपर्क किया, ताकि मृतक के परिवार से बातचीत की जा सके।
इस बातचीत का मकसद इस्लामी कानून के तहत “खूनबाहा” (दिया) यानी मुआवज़े के बदले माफ़ी पाने की संभावना पर चर्चा करना था। भारत और हूथी नियंत्रित यमन के बीच औपचारिक संबंध न होने के कारण पहले यह बातचीत संभव नहीं थी, लेकिन धार्मिक नेताओं के माध्यम से यह रास्ता खुल सका।
डमर और सना शहरों में यमनी विद्वानों, समुदाय के नेताओं और अधिकारियों के साथ कई बैठकें हुईं, जिनके बाद सज़ा को पहले टाला गया और अब पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है।
“सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने इस सफलता का श्रेय ग्रैंड मुफ्ती की धार्मिक कूटनीति को दिया है, जिसने पांच साल से जारी गतिरोध को तोड़ा।
तालाल महदी के लिए न्याय की मांग कर रहे एक यमनी कार्यकर्ता सरहान शमसान अल विस्वाबी ने भी फेसबुक पर इसकी पुष्टि की है। उन्होंने लिखा कि धार्मिक नेताओं की मजबूत दखल से मौत की सज़ा हटा ली गई है। अब संभावना है कि निमिषा प्रिया को या तो रिहा किया जाएगा या उन्हें उम्रकैद मिलेगी। मृतक के परिवार से बातचीत अभी जारी है। — एजेंसियों की रिपोर्ट के साथ