सूरत, गुजरात से एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें प्रमोशन पाने की ललक ने रेल कर्मचारियों को ऐसी साजिश रचने पर मजबूर कर दिया, जिसने उन्हें जेल पहुंचा दिया। आमतौर पर कर्मचारी प्रमोशन के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन इन रेलकर्मियों ने अपनी बहादुरी की झूठी कहानी गढ़कर वाहवाही और प्रमोशन पाने की योजना बनाई, जो कि बुरी तरह असफल रही।
प्रमोशन की लालच में रची साजिश
हाल ही में, तीन रेलकर्मियों ने रेल की पटरी से छेड़छाड़ कर यह दिखाने की कोशिश की कि एक बड़ा हादसा होने से उन्होंने बचा लिया। उन्हें लगा था कि इस बहादुरी के लिए उनकी खूब सराहना होगी और प्रमोशन की राह आसान हो जाएगी। लेकिन, उनकी साजिश का भंडाफोड़ हो गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पटरी से छेड़छाड़ का खुलासा
सूरत जिले के किम के पास हुई इस घटना की जांच से पता चला कि यह पूरी तरह से एक गढ़ी हुई कहानी थी। तीनों कर्मचारियों ने पहले जानबूझकर पटरी के कुछ हिस्सों को हटाया, ताकि ऐसा लगे कि कोई पटरी से ट्रेन उतारने की कोशिश कर रहा था। इसका वीडियो बनाकर और फोटो खींचकर उन्होंने इसे दुर्घटना टालने का ढोंग रचा। उनकी योजना थी कि उन्हें इस ‘बहादुरी’ के लिए इनाम और प्रमोशन मिलेगा, लेकिन उनकी चालाकी पकड़ी गई।
गिरफ्तारी और जांच का ब्योरा
इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें दो ट्रैकमैन सुभाष पोद्दार और मनीष मिस्त्री, और एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी शुभम जायसवाल शामिल हैं। सुभाष पोद्दार बिहार के भागलपुर से, मनीष मिस्त्री पटना से और शुभम जायसवाल उत्तर प्रदेश के चंदौली से हैं। ये तीनों फिलहाल सूरत के किम इलाके में रह रहे थे।
पुलिस को कैसे हुआ शक?
जब तीनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने कुछ अज्ञात लोगों को पटरियों पर दौड़ते देखा और फिर उन्होंने पटरी की टूटी फिश प्लेट और रेल क्लिप्स को 25 मिनट में जोड़ दिया, तो पुलिस को शक हुआ। इतने कम समय में यह काम संभव नहीं लग रहा था। इसके बाद मामले की गहन जांच की गई और साजिश का खुलासा हुआ।
मामला दर्ज
तीनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ रेलवे एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की रोकथाम अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया है। अब, इन आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी।