गुजरात के अहमदाबाद में नगर निगम (एएमसी) के अधिकारियों ने 15 मार्च को भीड़ हिंसा के 14 आरोपियों में से छह लोगों के घरों को भारी पुलिस बल के साथ ध्वस्त कर दिया। इनमें एक आरोपी नाबालिग भी शामिल है। इन सभी को राहगीरों पर हमला, दंगा और सामूहिक मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें तीन लोग घायल हुए और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा।
हिंसा का संदर्भ
गुरुवार रात को अमराईवाड़ी और खोखर इलाके में लाठी, तलवार और चाकुओं से सुसज्जित 20 लोगों की भीड़ ने वाहनों को तोड़फोड़ किया और जनसाधारण से मारपीट की। इस घटना की शिकायत अलाप सोनी ने दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर पुलिस ने एफआईआर दाखिल की।
पुलिस की कार्रवाई
- 700-800 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में एएमसी ने आरोपियों के घरों को गिराया।
- परिवारों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
- आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) , 147 (गैरकानूनी जमावड़ा), 332 (पुलिस को रोकना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला चलाया गया है।
- कुछ आरोपियों के डंडे मारने के वीडियो सामने आए हैं, जिनकी पुलिस ने पड़ताल की है।
सरकारी निर्देश
गुजरात के पुलिस महानिदेशक विकास सहाय ने शीर्ष अधिकारियों को अगले 100 घंटों में असामाजिक तत्वों को पहचानने और उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसमें जमीन अतिक्रमण, अवैध बिजली कनेक्शन, जबरन वसूली और शराबबंदी से जुड़े अपराध शामिल हैं। जमानत पर रहते हुए भी अगर कोई व्यक्ति अवैध गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसकी जमानत रद्द करने की भी बात कही गई है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पिछले साल 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया के बिना घरों को ध्वस्त करने को “असंवैधानिक” घोषित किया था। इसके बावजूद एएमसी की इस कार्रवाई को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है।