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जामिया की छात्रा अदिला खानम को प्रिंसटन फाउंडेशन नेशनल स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया।

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जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCARS) में एम.एस.सी. वायरोलाॅजी की दूसरी वर्ष की छात्रा अदिला खानम (Adila Khanum) को प्रतिष्ठित प्रिंसटन फाउंडेशन फॉर पीस एंड लर्निंग नेशनल स्कॉलरशिप (USA) 2024-25 से नवाजा गया है।

यह फाउंडेशन युवा महिलाओं को समग्र शिक्षा और संरक्षकता प्रदान करने के लिए समर्पित है। फाउंडेशन की प्रमुख पहल, GOAL प्रोग्राम के तहत, अदिला को वित्तीय सहायता के साथ-साथ व्यापक संरक्षकता और इंटर्नशिप के अवसर प्राप्त होंगे। इनमें कॉर्पोरेट और रिसर्च इंटर्नशिप के लिए पात्रता भी शामिल है।

अदिला खानम की प्रतिक्रिया

अपनी उपलब्धि पर अदिला ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “मैं अमेरिका में इंटर्नशिप और विभिन्न संरक्षकों से सीखने के अवसर को लेकर उत्साहित हूं। यह अवसर मेरे व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को नया आयाम देगा। मैं अपने शिक्षकों, विशेषकर डॉ. जावेद इकबाल की आभारी हूं, जिनके मार्गदर्शन ने मेरी शैक्षणिक यात्रा में अमूल्य भूमिका निभाई है।”

उन्होंने इस शानदार छात्रवृत्ति अवसर से परिचय कराने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहन जोशी का भी धन्यवाद किया। इसके साथ ही MCARS के निदेशक प्रो. मोहम्मद हुसैन और अन्य फैकल्टी सदस्यों का भी उन्होंने हृदय से आभार व्यक्त किया, जिनकी प्रेरणा और संरक्षकता ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

दंत चिकित्सा संकाय ने ‘सॉफ्ट स्किल्स इन डेंटल प्रैक्टिस’ पर वर्कशॉप का आयोजन किया

जामिया कैंपस में एक अन्य कार्यक्रम के तहत, दंत चिकित्सा संकाय ने 5 दिसंबर 2024 को अपने 2020 बैच के 50 बीडीएस इंटर्न्स के लिए ‘सॉफ्ट स्किल्स इन डेंटल प्रैक्टिस’ पर एक वर्कशॉप आयोजित की।

यह कार्यशाला जी.बी. पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, नई दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो. पूनम सूद लूंबा द्वारा संचालित की गई। प्रो. लूंबा एक FAIMER फेलो हैं और मेडिकल एजुकेशन में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। वह मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के क्षेत्रीय केंद्र के लिए नेशनल मेडिकल कमिशन की संयोजक भी हैं।

कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में दंत चिकित्सा संकाय की डीन, प्रो. केया सरकार ने सभी का स्वागत किया और दंत चिकित्सा में सॉफ्ट स्किल्स के महत्व को रेखांकित किया।

आयोजन अध्यक्ष, प्रो. आशु भारद्वाज ने ‘सॉफ्ट स्किल्स’ शब्द के उद्भव की चर्चा करते हुए बताया कि यह शब्द पहली बार 1960 के दशक में अमेरिकी सेना में प्रयोग हुआ था, जब तकनीकी कौशल के साथ नेतृत्व और भावनात्मक बुद्धिमत्ता को सैनिकों को प्रेरित करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया था। उन्होंने इंटर्न्स को जागरूक किया कि आने वाले महीनों में वे वास्तविक दुनिया में कदम रखेंगे, जहां सॉफ्ट स्किल्स उनके पेशेवर जीवन को और समृद्ध बनाएंगी।

कार्यशाला की मुख्य बातें

प्रो. लूंबा ने अपने व्याख्यान में सॉफ्ट स्किल्स के विभिन्न पहलुओं जैसे दृष्टिकोण, नैतिकता और संचार पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने सक्रिय सुनने, सूचित सहमति लेने, संचार बाधाओं को दूर करने और नैतिक मानकों का पालन करने पर विशेष जोर दिया।

कार्यशाला के दौरान विभिन्न क्लीनिकल मामलों पर आधारित रोल प्ले कराए गए, जिनमें स्टेरिलाइजेशन के महत्व को समझाना, HIV मरीज को काउंसलिंग देना, इलाज की प्रक्रिया समझाना और मरीजों को सहयोग के लिए प्रेरित करना शामिल था।

इंटर्न्स ने इन गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव प्रो. ज़ेबा जाफरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम का आयोजन प्रो. आशु भारद्वाज, प्रो. अनुराधा शर्मा, प्रो. ज़ेबा जाफरी, प्रो. निशात सुल्तान, प्रो. अनुप्रिया वाधवा, प्रो. कीर्ति चावला और डॉ. नूपुर गुप्ता ने किया। दंत चिकित्सा संकाय की डीन प्रो. केया सरकार इसके संरक्षक रहीं।

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