कर्नाटक: कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर लगाई गई पाबंदी के विरोध में कई मुस्लिम छात्राओं ने बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ दी। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने वक्फ बोर्ड के साथ मिलकर राज्य में मुस्लिम लड़कियों के लिए 10 नए कॉलेज खोलने का फैसला लिया। लेकिन इस फैसले के विरोध में अब हिन्दू संगठन आ गए है। हिन्दू संगठनों ने व्यापक विरोध की चेतावनी दी है।
हिंदू जन जागृति समिति के नेता मोहन गौड़ा ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि अगर मुस्लिम लड़कियों के कॉलेज बन रहे हैं तो हिंदू शिक्षण संस्थान भी बनने चाहिए। उन्होने इस निर्णय को धर्मनिरपेक्षता और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। गौड़ा ने चेतावनी दी कि “अगर सरकार इसे वापस नहीं लेती है, तो विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा”।
वहीं श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक ने कहा कि राज्य में इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि बीजेपी विधानसभा चुनाव से पहले मुसलमानों के तुष्टिकरण में लिप्त होगी। यह विभाजनकारी नियम है और कॉलेज हिजाब संकट की पृष्ठभूमि में खोले गए हैं। इससे छात्रों में विभाजनकारी मानसिकता विकसित होगी।”
बता दें कि राज्य सरकार वक्फ बोर्ड के साथ मिलकर मिलकर मुस्लिम लड़कियों के लिए 10 नए कॉलेज खोलेगी। इन कॉलेजों की आधारशिला खुद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई रखेंगे। कॉलेजों के लिए 2.50 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया जा चुका है।
कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना शफी सादी ने बताया कि विशेष कॉलेजों के लिए बोर्ड द्वारा प्रस्ताव दिया गया था और यह निर्णय बड़ी संख्या में मुस्लिम लड़कियों द्वारा घर पर रहने के विकल्प चुनने के बाद लिया गया है। क्योंकि कॉलेज परिसर में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है।
उन्होने कहा कि कर्नाटक की मंत्री मुजरई शशिकला जोले और कलाबुरगी के सांसद उमेश जाधव के नेतृत्व में एक प्रतिनधिमंडल ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाक़ात कर प्रस्ताव सौंपा था। राज्य सरकार ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है। उन्होने आगे कहा, मैं मंत्री शशिकला जोले को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुस्लिम लड़कियों को शिक्षित करने के लिए एक बहन की तरह नेतृत्व किया।