भारत के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे मुस्लिम नौजवानों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया,और सालों साल तक फर्ज़ी आरोप में उन्हें जेल में बंद रखा गया और बाद में उनके खिलाफ पुख़्ता सबूत ना होनें के कारण कोर्ट ने उन्हें बा-इज़्जत बरी कर दिया।
केरल से ऐसा ही एक फैसला सामने आया है ,13 साल बाद राष्ट्रीय जांच जेंसी के कोच्चि विशेष अदालत ने बैंगलोर विस्फोट मामलों के दो आरोपी थदियांतावीदे नज़ीर और शराफुद्दीन समेत पांच मुसलमान और तीन अन्य लोगों को बरी कर दिया है । पुलिस ने इन्हें विस्फोटक पदार्थ रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इस मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश के.कामनीस ने कहा कि आरोपी बरी होने का हकदार थे, क्योंकि उनके ख़िलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह पता चलता हो कि आरोपी में से किसी का भी विस्फोटक पदार्थों के कब्जे से कोई संबंध था।
जस्टिस के. कामनीस ने आगे कहा कि एक ऐसे मामले में कार्यवाही करना,जिसमें आरोपी के ख़िलाफ कोई पुख्ता सबूत ही नहीं हो ,ऐसे मामले में केवल न्यायिक समय की बर्बादी होगी। हालांकि,अदालत में आरोपीयों का प्रतिनिधित्व वकीलों ने किया था, लेकिन उन्होंने आरोप तय करने पर बहस नहीं की।
द हिंदू के रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कोर्ट ने खुद ही रिकॅाड का मोआयना किया और डिस्चार्ज करने का आदेश दिया।अभियोजन पक्ष का मुक्दमा था कि आरोपियों ने देश भर में विस्फोट करने के लिए, गैर कानुनी विस्फोटक पदार्थ रखा हुआ था। और इसे पांचवे आरोपी फिरोज़ के घर के करीब संपत्ति में छिपा दिया था।और 2009 में तलाशी करने वाली पुलिस टीम ने दावा किया था कि उन्हें आरोपियों से विस्फोटक पदार्थ मिली थी।
हालांकि,यहां आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं था ,इस तर्क को साबीत करने के लिए पुलिस के पास कोई भी ऐसा रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था कि आरोपी के पास विस्फोटक सामान मिले हो । और अब 13 सालों बाद इन बेकसूर मुसलमानों को कोर्ट ने बा-इज़्जत बरी कर दिया है ।