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कुपवाड़ा की रिफत रसूल और स्नोबर फय्याज ने एशियाई सावत चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर रचा इतिहास।

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कुपवाड़ा: जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले की दो युवा लड़कियों ने दिल्ली में आयोजित छठी एशियाई सावत चैंपियनशिप (मार्शल आर्ट प्रतियोगिता) में रजत पदक जीतकर पूरे उत्तर भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। रिफत रसूल और स्नोबर फय्याज ने 16 देशों के शीर्ष खिलाड़ियों के साथ मुकाबला करते हुए अपने हुनर और जुनून से अंतरराष्ट्रीय मंच पर छाप छोड़ी।

यह प्रतियोगिता एशियाई सावत कंफेडरेशन (ASC) के तत्वावधान में आयोजित की गई थी, जिसमें 16 से अधिक देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हंडवाड़ा स्थित ओलंपियन फैसल मार्शल आर्ट एकेडमी की छात्राएं रिफत और स्नोबर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक हासिल किए।

रिफत रसूल: “सीखने को मिला बहुत कुछ”

मावेर हंडवाड़ा की रहने वाली रिफत रसूल ने 56 किलोग्राम वर्ग में प्रतिस्पर्धा की और कई राउंड में अपनी प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ते हुए रजत पदक जीता। ग्रेटर कश्मीर के मुताबिक, रिफत ने कहा, “यह मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता थी। हालांकि स्वर्ण नहीं जीत पाई, लेकिन मुझे अनमोल अनुभव मिला।”

स्नोबर फय्याज: “मुकाबले से मिली नई सीख”

कुपवाड़ा के कंडी खास इलाके की स्नोबर फय्याज ने भी उसी वर्ग में दो अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी, लेकिन अनुभवी प्रतियोगी के सामने तीसरे राउंड में पीछे रह गईं। स्नोबर ने कहा, “यह मेरे लिए एक बड़ा सबक था। अब अगली बार और बेहतर करूंगी।”

कोच और एकेडमी का गर्व

ओलंपियन फैसल मार्शल आर्ट एकेडमी की ट्रेनर सुमाया नजीर ने इन खिलाड़ियों के सफलता पर खुशी जताते हुए कहा, “यह जीत पूरे कुपवाड़ा की है। खेलों के जरिए समाज में बदलाव लाने का यह एक उदाहरण है।” वहीं, दो दशक से युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे हेड कोच फैसल नजीर ने कहा, “हमारा मकसद नौजवानों को नकारात्मक चीजों से दूर रखकर उन्हें रोल मॉडल बनाना है। रिफत और स्नोबर की सफलता इस इलाके के युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगी।”

इस उपलब्धि ने न सिर्फ कुपवाड़ा बल्कि पूरे कश्मीर घाटी में खेलों को बढ़ावा देने की उम्मीदें जगाई हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि संसाधनों की कमी के बावजूद यहां की प्रतिभाएं देश-दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं।

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