मध्य प्रदेश के गुना जिले में सोमवार रात कथित तौर पर पुलिस हिरासत में एक 30 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति को बेरहमी से पीटा गया था जिससे उसकी मौत हो गई थी, इस मामले में अब न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए उनके परिजनों ने बताया कि- ‘30 वर्षीय इस्राइल खान को सोमवार शाम उनके गांव गोकुल सिंह चाक के पास हिरासत में लिया था, जब वह भोपाल में एक तब्लीगी जमात धार्मिक सभा में शामिल होकर रिक्शा से घर लौट रहे थे। लेकिन थाने में पूछताछ के दौरान पुलिस कर्मियों ने उसकी बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी।
इस मामले में पुलिस ने कहा कि इस्राइल खान एक स्थानीय झगड़े से जुड़े मामले में आरोपी था। उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था, लेकिन पूछताछ के दौरान जब इस्राइल खान बेहोश हो गए तो उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, एक न्यायिक मजिस्ट्रेट खान की मौत की जांच करेगी, साथ ही बताया कि अभी तक इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है। और इस घटना में शामिल तीन कांस्टेबलों को पुलिस लाइन में स्थानांतरित कर दिया गया है।
मृतक के भाई इमरान खान ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि, पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के बाद इस्राइल की मौत हुई है, उसके सिर और बांहों पर चोट के निशान थे साथ ही उसकी पीठ पर भी डंडों के निशान थे।
इस पर श्रीवास्तव ने कहा कि पुलिस भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के तहत दायर एक मामले में खान की हिरासत में लेना चाहती थी, क्योंकि 19 नवंबर को दो समूहों के बीच झगड़े की सूचना मिलने के बाद जब पुलिस ने गांव का दौरा किया, तो एक पक्ष ने पथराव करके पुलिस की वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया था और वह उस मामले में आरोपी था।
हालांकि, खान के परिजनों ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। आगे इमरान ने बताया कि जब खान को हिरासत में लिए जाने की ख़बर सुनी तो उसके पिता और चाचा पुलिस चौकी गए थे , लेकिन जब वे पुलिस स्टेशन गए तो उन्हें अस्पताल जाने के लिए कहा गया, जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने इस्राइल को मरा हुआ पाया ।
इस घटना के बाद मंगलवार को खान के परिवार व अन्य ग्रामीणों ने शव के साथ कई घंटे तक गांव की सड़क जाम कर प्रदर्शन किया, उन्होंने मांग किया कि हिरासत में हुए हत्या के आरोपियों पर एफआईआर दर्ज़ की जाए।
जिसके बाद एक मजिस्ट्रेट आए और वादा किया कि कार्रवाई की जाएगी। मजिस्ट्रेट अपने साथ पांच ग्रामीणों को गवाह के रूप में ले गए और परिवार को शव को दफनाने के लिए उनके आदेश का इंतजार करने को कहा था और अब न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं।