सच्चर समिति की सिफारिश पर मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक दशा को सुधारने के उद्देश्य से यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (MANF) को मोदी सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया है।
गुरुवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय इसलिए किया गया क्योंकि MANF कई अन्य योजनाओं को ओवरलैप कर रही थी।
उन्होने आगे कहा कि “चूंकि एमएएनएफ योजना सरकार द्वारा लागू उच्च शिक्षा के लिए कई अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्रों को पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किया गया है, इसलिए सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का फैसला किया है।”
ईरानी ने कहा, ‘योजना को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा लागू किया गया था। UGC द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2014-15 और 2021-22 के बीच योजना के तहत 6,722 उम्मीदवारों का चयन किया गया था और इस अवधि के दौरान 738.85 करोड़ रुपये की फैलोशिप वितरित की गई थी।‘
बता दें कि इस योजना के तहत 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी छात्रों को PhD और M.Phil के लिए सरकार की ओर से 5 साल तक सहायता राशि मिलती थी। सहायता राशि उन छात्रों को मिलती थी। जो साइंस, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सोशल साइंस या फिर ह्यूमैनिटी स्ट्रीम में MPhil या PhD कर रहे थे।