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नेहा रुबाब को मिला साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार, उपन्यास में दिखाया स्वतंत्रता सेनानी मजहरुल हक का भूला हुआ योगदान।

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प्रयागराज की नेहा रुबाब (Neha Rubab) को प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की उर्दू शोध छात्रा ने यह पुरस्कार अपने उपन्यास “मजहरुल हक: तहरीक-ए-आज़ादी-ए-हिंद (हिंद का फरामोश कर्रदा क़ायद)” के लिए हासिल किया है। इस उपन्यास में नेहा ने आज़ादी की लड़ाई के एक गुमनाम नायक मजहरुल हक के जीवन और संघर्ष को उजागर किया है।

साहित्य अकादमी ने बुधवार को वर्ष 2025 के युवा पुरस्कारों की घोषणा की, जिनमें देश की 23 भाषाओं के युवा साहित्यकारों को चुना गया है। उर्दू भाषा की श्रेणी में नेहा रुबाब का नाम सामने आना प्रयागराज और उर्दू साहित्य जगत दोनों के लिए गर्व का विषय बन गया है।

पुरस्कार स्वरूप नेहा को ₹50,000 नकद राशि और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। उनके इस चयन पर यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग सहित तमाम शिक्षकों और छात्रों ने हर्ष जताया और उन्हें बधाइयाँ दीं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि नेहा रुबाब को इससे पहले वर्ष 2024 में कला संकाय की ओर से ‘सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी’ का पुरस्कार भी मिल चुका है। वर्तमान में वह नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज (NCPUL) में रिसर्च असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं।

नेहा की यह उपलब्धि प्रयागराज के शैक्षिक और साहित्यिक समुदाय के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उनके लेखन ने न केवल उर्दू साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के एक विस्मृत अध्याय को भी जनमानस के सामने लाने का कार्य किया है।

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