मध्य प्रदेश के सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग द्वारा आयोजित धार्मिक परिवर्तन समारोह में मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 का उल्लंघन एवं अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध भेदभावपूर्ण कार्रवाई।
दिनांक 8 दिसंबर, 2025 को भोपाल के गुफा मंदिर में एक धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम धर्म अपनाने वाले शुभम गोस्वामी (जिन्हें अमन खान नाम दिया गया था) को हिंदू धर्म में “घर वापसी” कराई गई। यह समारोह मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग की प्रत्यक्ष उपस्थिति एवं सहयोग से संपन्न हुआ। समाचार स्रोतों के अनुसार, युवक ने दावा किया कि दो वर्ष पूर्व प्रेम संबंधों के कारण मुस्लिम धर्म अपनाया गया था, किंतु अब वह स्वेच्छा से हिंदू धर्म में लौटना चाहता है। इस प्रक्रिया में मुंडन, जनेऊ, शुद्धिकरण एवं हवन जैसी रस्में निभाई गईं, तथा मंत्री सारंग ने इसे “लव जिहाद” के विरुद्ध राज्य सरकार की मुहिम का हिस्सा बताया।
मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 का उल्लंघन:
मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 (धारा 3, 5 एवं 10) धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बनाया गया है, जो किसी भी धार्मिक परिवर्तन को बलपूर्वक, धोखे, प्रलोभन, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती या विवाह के माध्यम से अवैध घोषित करता है। अधिनियम की धारा 10 स्पष्ट रूप से अनिवार्य करती है कि:
- परिवर्तन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट को 60 दिनों पूर्व एक घोषणा-पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख हो कि परिवर्तन स्वेच्छा से, बिना किसी बल, धोखे, प्रलोभन या अनुचित प्रभाव के हो रहा है।
- परिवर्तन कराने वाले धार्मिक पुजारी या आयोजक को भी इसकी सूचना देनी होगी।
- केवल इसकी पूर्ति के पश्चात ही परिवर्तन वैध माना जाएगा, अन्यथा वह शून्य होगा।
इस घटना में: - कोई पूर्व घोषणा-पत्र जमा नहीं किया गया।
- 60 दिनों की अनिवार्य अवधि का पालन नहीं हुआ।
- परिवर्तन एक सार्वजनिक धार्मिक समारोह के माध्यम से तत्काल संपन्न कराया गया, जो अधिनियम की भावना एवं प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह विधि-विरुद्ध परिवर्तन न केवल अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों (अनुच्छेद 25: धार्मिक स्वतंत्रता) का भी हनन करता है। सुप्रीम कोर्ट एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व निर्णयों (जैसे रेव. सुरेश कार्लटन बनाम मध्य प्रदेश राज्य, 2022) में स्पष्ट किया गया है कि वयस्क व्यक्तियों के स्वैच्छिक परिवर्तन को बाधित नहीं किया जा सकता, किंतु प्रक्रिया का अनुपालन अनिवार्य है। लव जिहाद का झूठा आरोप एवं अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध भेदभाव: इस मामले को “लव जिहाद” के रूप में प्रचारित किया गया, जो एक विवादास्पद एवं अल्पसंख्यक-विरोधी सिद्धांत है। “लव जिहाद” कोई कानूनी परिभाषा नहीं रखता, अपितु यह मुस्लिम समुदाय पर सामूहिक आरोप लगाने का माध्यम बन गया है। युवक के दावों के आधार पर मुस्लिम परिवार पर झूठे उत्पीड़न एवं बलपूर्वक परिवर्तन के आरोप लगाए गए, जिसके फलस्वरूप तीन सदस्यों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई एवं उन्हें जेल भेजा गया। यह कार्रवाई:
- अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम) के विरुद्ध पूर्वाग्रहपूर्ण है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) एवं 15 (भेदभाव निषेध) का उल्लंघन करती है।
- धार्मिक स्वतंत्रता को बहुसंख्यक (हिंदू) दृष्टिकोण से लागू करने का प्रयास है, जबकि अधिनियम सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए।
- ऐसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द को भंग करती हैं एवं अल्पसंख्यकों में भय का वातावरण पैदा करती हैं, जो राष्ट्रीय एकता के विरुद्ध है।















