मुख्य बिंदु:
- गोधरा कांड पर आधारित किताब ‘इनविज़िबल पीपल – कहानियाँ आशा और साहस की‘ को राजस्थान सरकार ने स्कूल पाठ्यक्रम से हटाने का आदेश दिया।
- शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इसे “समाज में विभाजन” करने वाली किताब बताया और आरोप लगाया कि यह घटना के बारे में भ्रामक जानकारी देती है।
- पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने दिलावर के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने इस किताब को मंजूरी नहीं दी थी।
- किताब के लेखक हर्ष मंदर के खिलाफ CBI जांच जारी है।
राजस्थान सरकार ने राज्य के स्कूलों से गोधरा कांड पर आधारित एक किताब को वापस लेने का आदेश दिया है। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे इस किताब की सभी वितरित प्रतियाँ लौटाएं, और इसके लिए की गई खरीद के आदेश भी रद्द कर दिए गए हैं।
इस किताब का नाम ‘इनविज़िबल पीपल – कहानियाँ आशा और साहस की ‘ है, जिसे पूर्व गहलोत सरकार के कार्यकाल में राजस्थान के स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था। हालांकि, वर्तमान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) का कहना है कि इस किताब में गोधरा कांड के बारे में भ्रामक जानकारी दी गई है, जो समाज को विभाजित करने का काम करती है। उनके अनुसार, किताब में गोधरा में ट्रेन को आग लगाने वाले लोगों की प्रशंसा की गई है और हिंदुओं को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है। साथ ही, इस पर आरोप है कि यह किताब उस समय की गुजरात सरकार के बारे में गलत जानकारी फैलाती है।
मंत्री दिलावर ने पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) पर आरोप लगाया कि उन्होंने जानबूझकर ऐसी सामग्री बच्चों तक पहुँचाई ताकि उन्हें गुमराह किया जा सके। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, डोटासरा ने ट्वीट किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में इस किताब को मंजूरी नहीं दी थी और आरोप लगाया कि दिलावर झूठ बोल रहे हैं।
यह किताब पूर्व IAS अधिकारी हर्ष मंदर (Harsh Mander) द्वारा लिखी गई है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कई जिलों में कलेक्टर के रूप में कार्य किया है और सेवानिवृत्ति के बाद एक NGO के साथ काम कर रहे हैं। हाल ही में CBI ने मंदर के खिलाफ जांच भी शुरू की है। इस किताब में गोधरा ट्रेन हमले को एक आतंकवादी साजिश के रूप में दर्शाया गया है और उसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा झेली गई परेशानियों को साझा किया गया है। किताब में दावा किया गया है कि कुछ बच्चे अब भी लापता हैं और कई लोग अपनी धार्मिक पहचान के कारण छिपने पर मजबूर हैं।