राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर कस्बे में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसमें तीन सफाईकर्मियों की जान चली गई। सफाई के दौरान सीवेज टैंक में जहरीली गैस के संपर्क में आने से ये हादसा हुआ। अधिकारियों के अनुसार, सफाई करते समय एक सफाईकर्मी 20 फीट गहरे गड्ढे में गिरकर बेहोश हो गया। उसके बचाव के लिए उसके दो साथी भी अंदर उतरे, लेकिन जहरीली गैस से वे भी बेहोश हो गए। पुलिस ने सभी को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
यह हादसा मंगलवार शाम लगभग साढ़े चार बजे सरदारपुरा इलाके में हुआ। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और क्षेत्रीय विधायक हकीम अली खान समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।
टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के बाद वाल्मीकि समाज ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने मृतकों के परिवार को सरकारी नौकरी और 1-1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की। जिला अस्पताल में भारी भीड़ जमा हो गई, और वाल्मीकि समाज के लोगों ने मांग पूरी होने तक शव का पोस्टमार्टम और लेने से इनकार कर दिया। वे अस्पताल के गेट पर धरने पर बैठ गए और जिला कलेक्टर से सीधे संवाद की मांग की।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सफाईकर्मियों को सुरक्षा उपकरण नहीं दिए गए थे। यदि सुरक्षा के उपकरण होते, तो संभवतः उनकी जान बचाई जा सकती थी। इस हादसे ने मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के प्रति जागरूकता की कमी को उजागर किया है, जिसके तहत मैनुअल सीवर सफाई पूरी तरह से प्रतिबंधित है। विशेष परिस्थितियों में सफाई कर्मियों को सीवर में उतारने के लिए सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है, लेकिन इन मानकों की अनदेखी होने के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं।
आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष जुलाई में राज्यसभा में मंत्री रामदास अठावले ने कहा था कि 2019 से 2023 के बीच देशभर में सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान 377 लोगों की मौत हो चुकी है।