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शहीदों को सलाम: ऑपरेशन सिंदूर में पांच वीर जवानों ने देश के लिए दी अंतिम कुर्बानी।

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भारत-पाकिस्तान सीमा पर एक बार फिर तनाव की लहरें उठ खड़ी हुईं। नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर गोलाबारी और ड्रोन हमलों की गूंज न केवल युद्धक्षेत्र, बल्कि देश के कोने-कोने में उन घरों तक पहुंची, जहां माताएं, पत्नियां, बच्चे और भाई-बहन अपने जवानों की सलामती के लिए दुआएं कर रहे थे।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, लेकिन इसकी कीमत पांच वीर सैनिकों के प्राणों से चुकानी पड़ी। ये जवान सिर्फ वर्दीधारी नहीं, बल्कि किसी के पिता, पति, बेटे और भाई थे, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।


1. सार्जेंट सुरेंद्र कुमार मोगा: बेंगलुरु से उधमपुर तक, अंतिम सलामी तक

भारतीय वायुसेना के मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट सुरेंद्र कुमार मोगा राजस्थान के झुंझुनू जिले के मेहरदासी गांव के रहने वाले थे। 7 मई को उन्हें बेंगलुरु से जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में तैनात किया गया था। मात्र चार दिन बाद, 11 मई को पाकिस्तानी ड्रोन हमले और भारी गोलाबारी के बीच उन्होंने वीरगति प्राप्त की। यह तैनाती उनके जीवन का अंतिम अध्याय बन गई।


2. सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज: आरएस पुरा में दुश्मन की गोली का शिकार

सीमा सुरक्षा बल (BSF) के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में तैनात थे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से हुई गोलाबारी में 11 मई को वे शहीद हो गए। जम्मू के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले इम्तियाज की बहादुरी को राज्य सरकार ने सम्मानित करते हुए उनके परिवार को मुआवजे की घोषणा की।


3. लांस नायक दिनेश कुमार: छुट्टी से लौटकर लिखा बलिदान का इतिहास

राष्ट्रीय राइफल्स की 42वीं बटालियन के लांस नायक दिनेश कुमार मार्च में छुट्टी से लौटे ही थे कि 7 मई को जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलाबारी के दौरान शहीद हो गए। हरियाणवी इस जांबाज के परिवार में पत्नी सीमा (एक वकील) और दो नन्हें बच्चे हैं। उनका बलिदान देश के हर नागरिक को गौरवान्वित करता है।


4. राइफलमैन सुनील कुमार: त्रेवा गांव का वो सपूत जो अमर हो गया

जम्मू के त्रेवा गांव के रहने वाले राइफलमैन सुनील कुमार 11 मई को आरएस पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद हुए। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो “भारत माता की जय” के नारों के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। उनकी शहादत ने साबित किया कि सीमा पर खड़ा हर जवान देश की शान से बड़ा होता है।


5. सैनिक एम. मुरली नाइक: आखिरी वीडियो कॉल जो याद बन गई

आंध्र प्रदेश के सत्य साईं जिले के 25 वर्षीय मुरली नाइक 2018 में सेना में भर्ती हुए थे। 6 मई को उन्होंने अपनी मां से आखिरी बार वीडियो कॉल की। तीन दिन बाद, 9 मई को जम्मू-कश्मीर राइफल्स यूनिट में तैनाती के दौरान उनकी शहादत हो गई। गांव पहुंचे उनके पार्थिव शरीर को सैन्य सम्मान के साथ विदाई दी गई।

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