उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद पर हुई हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को 20 आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी।
यह मामला पिछले साल की उस हिंसा से जुड़ा है जो मस्जिद पर दूसरे सर्वे के दौरान भड़क उठी थी। इसके बाद पुलिस ने कुल 96 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें मशहूर वकील ज़फ़र अली भी शामिल हैं। एसआईटी ने इस मामले में 12 एफआईआर दर्ज की थीं और हर केस में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई थी।
समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बरक भी इस मामले में आरोपी हैं। एसआईटी ने 1,200 पन्नों की चार्जशीट में 21 लोगों के नाम शामिल किए हैं। ज़ियाउर रहमान बर्क और स्थानीय कार्यकर्ता शारिक पठान पर हिंसा भड़काने और युवाओं को उकसाने का आरोप है।
हिंसा के बाद संभल में हालात काफी बदल गए हैं। लोगों का आरोप है कि पुलिस मुस्लिम युवाओं को निशाना बना रही है और झूठे मुकदमों में फंसा रही है। त्योहारों के दौरान मुसलमानों के लिए सख्त गाइडलाइन जारी की जाती हैं। यहां तक कि कोई अगर अपने घर की छत पर भी नमाज़ पढ़े तो उसे गिरफ्तार किया जाता है।
होलिका दहन वाले दिन जुमे की नमाज़ भी देर से शुरू कराई गई, प्रशासन ने इसका कारण कानून व्यवस्था बताया। वहीं बीजेपी के बड़े नेताओं, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं, ने अपने भाषणों में मुस्लिम समाज को निशाना बनाया।
इस माहौल के बीच कोर्ट का यह फैसला उन 20 परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिनके सदस्य एक साल बाद जेल से बाहर आए हैं। परिवारों ने कोर्ट का शुक्रिया अदा किया और इंसाफ की उम्मीद जताई।