महात्मा गांधी :- मैंने इमाम हुसैन से सीखा कि – “मज़लूमियत में कैसे जीत हासिल की जा सकती है। इस्लाम की उन्नति तलवार पर नहीं, बल्कि इमाम हुसैन के बलिदान पर निर्भर है, जो एक महान संत हैं।” गांधी ने इमाम हुसैन के बलिदान को सत्य और न्याय के लिए संघर्ष की प्रेरणा के रूप में देखा
पंडित जवाहर लाल नेहरू :- “इमाम हुसैन का बलिदान हर समुदाय और राष्ट्र के लिए एक प्रेणादायक स्तम्भ है। उन्होंने अपना सब कुछ न्याय के लिए समर्पित किया लेकिन अन्याय के सामने झुकने से इंकार किया।” नेहरू ने उनके बलिदान को विश्वव्यापी प्रेरणा के रूप में देखा।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद :- “इमाम हुसैन का बलिदान किसी के देश या समुदाय तक सीमित नहीं, यह पूरी मानवता के लिए एक विरासत है।” उन्होंने इमाम हुसैन के सन्देश को मानवता के लिए सदैविक बताया।
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्ण :- “इमाम हुसैन ने अपना जीवन लगभग 1300 साल पहले समर्पित किया, लेकिन उनकी अमर आत्मा आज भी लोगों के दिलों में है।” इन्होंने इमाम हुसैन के बलिदान को एक अमर प्रेरणा के रूप में देखा।
रवींद्रनाथ टैगोर :- न्याय और सत्य को जीवित रखने के लिए, सेना या हथियारों के बजाय, जीवन का बलिदान करके सफलता प्राप्त की जा सकती है, ठीक वैसा ही जैसा इमाम हुसैन ने किया था।
असदुद्दीन ओवैसी :- “इमाम हुसैन ने हमें सिखाया ज़ालिम के ज़ुल्म को, ज़ालिम की ताकत को देखकर मत डरो बल्कि तुम हक़ की सर बुलंदी के लिए आगे बढ़ो।”