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महाराष्ट्र की पहली महिला डीजीपी रश्मि शुक्ला का तबादला: विपक्ष ने क्यों उठाई हटाने की मांग?

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चुनाव आयोग ने सोमवार को महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख रश्मि शुक्ला (Rashmi Shukla) का तबादला करने का आदेश दिया है, जो राज्य की पहली महिला डीजीपी हैं। कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जिसके बाद 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह कार्रवाई की गई।

आयोग ने शुक्ला को तुरंत पद छोड़कर अगले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को कार्यभार सौंपने का निर्देश दिया। राज्य के मुख्य सचिव से मंगलवार तक डीजीपी पद के लिए तीन अधिकारियों के नाम मांगे गए हैं।

1988 बैच की आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला पिछले पांच वर्षों में कई बड़े उतार-चढ़ावों का सामना कर चुकी हैं। उन्हें उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के करीबी माना जाता है और वे खुफिया विभाग (SID) की प्रमुख रह चुकी हैं।

2019 में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने सत्ता में आने के बाद शुक्ला को खुफिया विभाग से हटाकर नागरिक सुरक्षा विभाग में भेज दिया था, जो कम महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बाद उन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) में भेजा गया।

2022 में शुक्ला पर विपक्षी नेताओं के फोन टैप करने का आरोप लगा, जिसके लिए मुंबई और पुणे में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। इसके बाद शुक्ला ने अदालत का रुख किया और बाद में दो एफआईआर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया, जबकि तीसरा मामला भी सीबीआई द्वारा बंद कर दिया गया।

शिंदे सरकार के सत्ता में आने के बाद शुक्ला को डीजीपी पद पर नियुक्त किया गया। हालांकि, विपक्ष ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए। एनसीपी की प्रवक्ता ने इसे नियमों के विरुद्ध बताते हुए कहा कि डीजीपी पद के लिए केवल उन अधिकारियों का चयन होता है, जिनकी सेवा में छह महीने से अधिक का समय शेष हो। शुक्ला की सेवानिवृत्ति मात्र पांच महीने में है। विपक्ष का आरोप है कि शुक्ला की नियुक्ति चुनावी फायदे के लिए की गई है।

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