नई दिल्ली: देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के मास मीडिया के छात्र पार्क में क्लास करने के लिए मजबूर हैं। छात्रों का कहना है कि उन्हें लगातार पार्क में क्लास करने के लिए विवश किया जा रहा है। इसी सत्र विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद एमए मास मीडिया के छात्र जब क्लास करने कॉलेज पहुँचे तो छात्रों को उनके विभाग के द्वारा पार्क में क्लास करने के लिए कहा गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा क्लास के लिए क्लासरूम का आवंटन नहीं किया गया जिसके कारण छात्र इधर-उधर बठकते रहे। विश्विद्यालय के इस लचर व्यवस्था के कारण छात्रों के अंदर आक्रोश है। इस समस्या से जूझ रहे एमए प्रथम वर्ष के मास मीडिया के एक छात्र ने नाम न बताने के शर्त पर कहा “हम बहुत उम्मीदों के साथ यहाँ पढ़ने आए थे लेकिन कॉलेज में हमारे बैठने के लिए एक क्लासरूम तक की व्यवस्था नहीं। हम पिछले कई दिनों से इसी तरह क्लास कर रहे हैं लेकिन हमारी इस समस्या के तरफ़ कोई नहीं देख रहा।”
एक दूसरे छात्र ने बताया कि “हमारे क्लास के बहुत से बच्चों ने निराश होकर दूसरे विद्यालयों में दाखिल ले लिया है। हम बहुत मोटी 70000 फीस देकर यहाँ पढ़ने आए थे लेकिन हमें यहाँ आकर पता चला कि हमारे साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हम लोगों से इतनी मोटी फीस वसूलने के बाद भी हमें पढ़ने लायक वातावरण नहीं मिल पा रहा है।”
छात्रों के अनुसार वे लगातार इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कैंपस के गेट नंबर 8 के एक पार्क में क्लास होने के कारण बच्चे परेशान हैं। बारिश के कारण पार्क में कई तरह की दिक्कतें सामने आती रहती हैं जिसके कारण क्लास करना छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है। कभी मच्छड़ तो कभी बारिश, शोर-गुल से घिरे पार्क में क्लास करना छात्रों के लिए एक मुसीबत बन गई है। पिछले कुछ दिनों से बारिश होने के कारण इन छात्रों को एक जर्जर क्लासरूम में पढ़ाया जा रहा है जहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। अभी भी ये छात्र कभी पार्क तो कभी जर्जर क्लासरूम में अपनी क्लास करने के लिए मजबूर हैं।
क्लासरूम की इस समस्या के अलावा भी ये छात्र अपने फैकल्टी के प्राध्यापकों से भी असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि फैकल्टी में गिने-चुने दो या तीन प्राध्यापक हैं जो बेमन सारे विषय पढ़ाते हैं। 70000 रुपये फीस देकर भी इन बच्चों को देश के सबसे प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया में क्लासरूम जैसी सामान्य सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं।
पत्रकार मो० फुरकान इदरीसी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बी०ए० मास कम्युनिकेशन हिंदी के आख़री वर्ष के छात्र हैं।