(इकरा रिजवान वारसी ने लखनऊ विश्वविद्यालय में 3 स्वर्ण पदक जीते)
इकरा को डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी स्वर्ण पदक, पंडित देवी सहाय मिश्रा स्वर्ण पदक और श्रीमती श्याम कुमारी हुक्कू मेमोरियल स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है। इकरा ने बीए में 84.05 प्रतिशत अंक हासिल की है।
इकरा को साल 2021 में भी बेस्ट स्टूडेंट अवॉर्ड ब्रॉन्ज मेडल से नवाजा जा चुका है।
इकरा रिजवान वारसी के पिता रिजवान एक पेंटर थे, जो पहले स्प्रे पेंटिंग करते थे,लेकिन कोविड के दौरान उनकी नौकरी चली गई,जिसके बाद उन्होंने घर चलाने के लिए अस्पतालों के पास मास्क बेचना शुरू किया,अब इसी से ही घर का खर्च चलता है।
इकरा के मुताबिक मां तरन्नुम वारसी एक ऐसी गृहिणी हैं, जिन्होंने हमेशा उसका मनोबल बढ़ाया।
आगे इकरा ने कहा कि “घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। कोविड के दौरान घर की स्थिति और भी कठिन थी। मां मास्क सिलने का काम करती थीं और मेरे पिता रिजवान उन्हें अस्पतालों के बाहर बेचते थे। अब भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
हम चार भाई-बहन हैं, जिनमें मैं सबसे बड़ी हूं और ये तीनों मुझसे छोटे हैं। मैं मास्टर्स कर रही हूं, मेरे माता-पिता ने मेरा हमेशा समर्थन किया है। उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए बहुत संघर्ष किया और आज उसी का नतीजा है की मैं गोल्ड मेडलिस्ट हूं।
इकरा के पिता ने कहा कि, “मैं बच्चों की अच्छी शिक्षा और इनकी परवरिश के लिए कभी-कभी हॉकिंग करके मास्क और कभी-कभी अन्य सामान बेचता हूं। अब बेटे ने भी प्राइवेट नौकरी करना शुरू कर दिया है, जिससे उसे हर महीने 4,000 रुपये मिलते हैं। जिससे किसी तरह, दो वक्त की रोटी और बच्चों की शिक्षा फीस की व्यवस्था हो जाती है।