कहते हैं कि “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है” ये कहावत साउथ अफ्रीका टीम के ऊपर बिल्कुल फिट बैठती है। अफ्रीका की टीम सालों से अच्छा क्रिकेट खेल रही थी लेकिन हर बार उनको नॉकआउट मुकाबले में हार का सामना करना पड़ता था लेकिन इस बार उन्होंने अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी और इस बार किस्मत ने भी उनका साथ दिया है। साउथ अफ्रीका की टीम ने 27 सालों के बाद आईसीसी खिताब अपने नाम कर लिया है।
वो कहावत है कि “समय बड़ा बलवान होता है” अफ्रीका के लिए सही साबित होती है। 13 जून 1999 को अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंग्लैंड की ही सरजमीं पर सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था जहां अफ्रीका के फील्डर हर्षेल गिब्स ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ का कैच छोड़ दिया था और उन्होंने शतक जड़ते हुए अपनी टीम को फाइनल में पहुंचाया था और ऑस्ट्रेलिया खिताब जीतने में भी सफल रही थी, और इस बार ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ ने अफ्रीका के कप्तान तेंबा बावुमा का कैच छोड़ दिया था और उन्होंने मार्करम के साथ मिलकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। साउथ अफ्रीका की इस ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार साल 2014 के अंडर 19 वर्ल्ड कप के सुपरस्टार खिलाड़ी ऐडन मार्करम और तेज गेंदबाज कागिसो रबाडा रहे थे।
26 सालों के बाद अफ्रीका ने लिए ऑस्ट्रेलिया से बदला
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का ये तीसरा संस्करण है जिसमें साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया (SA vs AUS) की टीम फाइनल में पहली बार आमने सामने भिड़ रही थी। ऑस्ट्रेलिया डिफेंडिंग चैंपियन भी थी और उनकी टीम भी काफी मजबूत थी जिससे उनके मैच जीतने के चांस ज्यादा थे। यहीं नहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम बड़े मैचों में अच्छा प्रदर्शन करती है जिससे सभी समीकरण ऑस्ट्रेलिया के जीत के ही आ रहे थे लेकिन साउथ अफ्रीका के हक में सिर्फ एक चीज थी कि ये साल ‘चोकर्स’ टीम का था जो कभी खिताब नहीं जीते है। इस साल कई टीमों ने अपना खिताब का वर्षों से चला आ रहा सूखा भी खत्म किया था।
अफ्रीका ने टॉस जीतकर बादलों को देखते हुए पहले गेंदबाजी करने का फैसला लिया था। रबाडा की घातक गेंदबाजी के सामने ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ढेर हो गए। स्टीव स्मिथ और ब्यू वेबस्टर ने अर्धशतक लगाए और ऑस्ट्रेलिया की टीम मात्र 212 रन ही बना पाई। ऑस्ट्रेलिया को सस्ते में समेटने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने हार नहीं मानी और उनके गेंदबाजों ने भी कंडीशन का फायदा उठते हुए अफ्रीका को कम स्कोर में रोक दिया। ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 6 विकेट लिए और अफ्रीका की टीम मात्र 138 रनों पर ढेर हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 74 रनों की बढ़त बनाई थी और लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया फिर से इस मैच में बाजी मार लेगी। हालांकि कंडीशन अभी भी बल्लेबाजों के लिए काफी चैलेंजिंग थी जिसका फायदा अफ्रीकी गेंदबाजों ने भरपूर तरीके से उठाया था।
मार्करम की कैरियर डिफाइनिंग नॉक ने अफ्रीका को बनाया चैंपियन
रबादा ने पहली पारी की तरह दूसरी पारी में भी ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर को समेट कर रख दिया था। एलेक्स कैरी और मिचेल स्टार्क ने लोवर ऑर्डर में अच्छी पारी खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा दिया था। स्टार्क ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से दूसरी पारी में सबसे ज्यादा 58 रन बनाए थे और अफ्रीका की टीम को इतिहास रचने के लिए 282 रनों की जरूरत थी। ऑस्ट्रेलिया ने अफ्रीका के शुरुआती दो विकेट तो जल्दी झटक लिए थे। हालांकि उपकप्तान मार्करम और कप्तान तेंबा बावुमा ने खूंटा गांड़ दिया और अपनी टीम को जीत की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया था। मार्करम ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाया था, हालांकि कुछ रन पहले ही वो आउट हो गए। काईल वेरीन ने ऑफ साइड में शॉट लगाकर अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी थी।
अफ्रीका ने Lord’s में तोड़े रिकॉर्ड
साउथ अफ्रीका की टीम को चोकर्स कहा जाता था क्योंकि वो लीग मुकाबलों में अच्छा करने के बाद नॉकआउट में हारकर बाहर हो जाते थे। हालांकि, इस बार उन्होंने ये भूल नहीं की। अफ्रीका के नजरिए से ये जीत बहुत खास है क्योंकि उन्होंने 27 सालों के बाद पहली बार कोई आईसीसी खिताब अपने नाम किया है और उन्होंने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया है जिन्हें फाइनल हारने की आदत नहीं है। साउथ अफ्रीका की टीम ने साल 2008 के बाद पहली बार चौथी पारी में 250 से ज्यादा का स्कोर का पीछा सफलतापूर्वक किया था। यहीं नहीं अफ्रीकी टीम ने लॉर्ड्स में दूसरा सबसे बड़ा टोटल भी चेस कर लिया है।