बिहार के शेखपुरा ज़िला के सय्यद अमजद हुसैन जिन्होंने बहुत ही कम समय और आयु में अपना नाम लेखनी में बनाया है। उनका अगला पढ़ाव बिहार के सूफ़ी बुज़र्गों और दरगाहों के ऊपर है। इसी सिलसिले में हमारी बात-चीत के दौरान लेखक सय्यद अमजद हुसैन ने बताया की “हमारे नबी के मुहब्बत को वैसे तो हम लफ़्ज़ों में बता ही नहीं सकते लेकिन आला हज़रत के नाम से मशहूर अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी इस्लाम धर्म के आख़िरी पैग़म्बर मुहम्मद साहब के लिए बेहद खूबसूरत शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल किया है। अगर आला हज़रत की बात मात्र एक वाक्य में कहा जाये तो वह आक़ा यानी नबी के मुहब्बत के मिसाल हैं।”
आख़िर कौन है सय्यद अमजद हुसैन?
बिहार जैसे बड़े इलाक़े के शेखपुरा ज़िला के छोटे से गाँव जमुआरा में जन्मे सय्यद अमजद हुसैन ने अपनी पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल शेखपुरा और एसएडीन कॉन्वेंट स्कूल शेखपुरा से की है। उनके पिता सय्यद अहमद हुसैन एक व्यवसायी हैं।
क्या रखेंगे किताब का नाम और क्या होगा किताब में?
हमारे सवाल पर उन्होंने बताया की मैं इस किताब और इस मामले को लेकर दो-तीन सालों से कार्यरत हूँ। आज के दौर में दरगाहों को लोग जाते तो हैं लेकिन उन के बारे में जानते कुछ भी नहीं। हमारा मक़सद बिहार के ज़्यादा से ज़्यादा बुजुर्गों के बारे में लिखना होगा जिससे की लोग अपने पीर के बारे में ज़्यादा जानकारी हासिल कर सकेंगे।