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हिमाचल में बढ़ती साम्प्रदायिकता और प्रवासी समुदायों की असुरक्षा पर APCR की रिपोर्ट।

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नई दिल्ली: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की कानून-व्यवस्था और प्रवासी समुदायों की बढ़ती असुरक्षा पर आधारित एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट का नाम था “मुसलमानों को ‘बाहरी’ बनाना: हेट स्पीच, प्रवासी असुरक्षा और हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था की कमजोरी”। रिपोर्ट में शिमला, संजौली, मंडी, सोलन, कुल्लू और पालमपुर जैसे इलाकों में हाल की घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है, जिनसे साम्प्रदायिक तनाव और असुरक्षा की चिंता बढ़ी है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मानवाधिकार कार्यकर्ता, पूर्व सरकारी अधिकारी, वकील, पत्रकार और आम लोग शामिल हुए। प्रमुख वक्ताओं में सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan), संजय हेगड़े (Sanjay Hegde), शिक्षाविद सैयदा हमीद (Syed Hameed), शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पवार, पत्रकार रमणदीप कीर्तन और APCR के राष्ट्रीय सचिव नदीम खान (Nadeem Khan APCR) शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत पत्रकार पामेला फिलिपोस ने की, जिन्होंने कहा, “आज साम्प्रदायिक राजनीति ने शिक्षा से जुड़ी प्राथमिकताओं को पीछे छोड़ दिया है।”

APCR के नदीम खान ने हिमाचल सरकार की कानून-व्यवस्था संभालने में नाकामी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “हिमाचल सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रही है।” वहीं, पत्रकार सृष्टि जसवाल ने संजौली की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि मस्जिद समिति ने मस्जिद को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिससे लोग डरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल में मुसलमानों से उनके मूल राज्य से चरित्र प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं, जो एक भेदभावपूर्ण कदम है।

स्वतंत्र पत्रकार कौशिक राज ने अपनी परेशानी बताई कि उन्हें और नदीम खान को दक्षिणपंथी समूहों ने निशाना बनाया है। उनकी तस्वीरें फैलाकर उन्हें गलत तरीके से आतंकवादी बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पवार ने हिमाचल के मंत्रियों द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों की कड़ी निंदा की। वहीं, वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि साम्प्रदायिकता एक बीमारी है, जिसने सिर्फ भाजपा को ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी प्रभावित किया है। उन्होंने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे अपनी पार्टी से साम्प्रदायिक नेताओं को निकालें।

सैयदा हमीद ने भारत में मुसलमानों की स्थिति पर कहा, “एक मुसलमान के रूप में जीना दिन-ब-दिन मुश्किल हो रहा है।” उन्होंने नागरिक समाज से अपील की कि वे इस साम्प्रदायिकता को रोकने के लिए आगे आएं।

APCR ने हिमाचल में साम्प्रदायिक हिंसा की निंदा की और सरकार की ढिलाई की आलोचना की। संगठन ने गलत तरीके से निशाना बनाए गए लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने का वादा किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इस पर ध्यान दें और मुस्लिम समुदायों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ आवाज उठाएं।

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