कश्मीर: उस महिला से ज़्यादा शक्तिशाली कोई ताकत नहीं हो सकती है, जो हार ना मानने और कुछ कर गुजरने का दृढ़ निश्चय कर लिया हो और इसे साबित कर दिखाया है ऊपरी थाथर निवासी अब्दुल सत्तार की बेटी मुबीन फातिमा ने।
मुबीन फातिमा ने जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) की संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में 154वीं रैंक हासिल की है, जिसके परिणाम शुक्रवार को जेकेपीएससी द्वारा घोषित किए गए।
मीडिया से बात करते हुए फातिमा ने कहा कि उन्होंने 2017 में जीजीएम साइंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था और जब मैं बी.एससी के चौथे सेमेस्टर में थी तब मेरी शादी हो गई, उस वक्त मेरी उम्र महज़ 20 साल थी। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 2018 में ग्रेजुएशन पूरा किया। उसी साल अप्रैल में मेरी बेटी हुई फिर 2018 में ही मैंने जम्मू यूनिवर्सिटी में बॉटनी में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन लिया। लेकिन 2019 में मेरे पति ने मुझे तलाक दे दिया।
तलाक के समय जिस तरह की हालात और मुश्किलों का अनुभव किया होगा, उसकी कल्पना करना बहुत मुश्किल है। उस समय उसकी मानसिक स्थिति क्या रही होगी, इस नाज़ुक समय में उन्हें अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों का पूरा सहयोग मिला।
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“जहां चाह वहीं राह” वाली कहावत को फातमा मुबीन ने साबित कर दिखाया । उसने अपने लंबे समय से अधूरे सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने का फैसला किया, उसने 2020 में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी। जाहिर है कि समाज ने उसकी इस फैसले की सराहना नहीं की और उसका मजाक उड़ाया लेकिन एक सफल महिला वह है जो दूसरों द्वारा फेंकी गई ईंटों से एक मजबूत नींव का निर्माण कर सके।
लेकिन अब फातमा ने जेकेएएस परीक्षा पास कर उन सभी लोगों को करारा जवाब दिया है जो सोचते हैं कि शादी और बच्चों के बाद एक महिला का जीवन खत्म हो जाता है। वह उन लाखों लड़कियों के लिए एक उदाहरण बन गई हैं जिन्हें सिखाया जाता है कि जब उनकी शादी हो जाए या उनके बच्चे हों तो उन्हें केवल उन पर ध्यान देना चाहिए और अपने सपनों और आकांक्षाओं को भूल जाना चाहिए। फातमा मुबीन की कहानी इस बात की मिसाल है कि अगर आपके दिल में कोई सपना है, तो आपको कभी भी उसे छोड़ना नहीं चाहिए, चाहे आपके जीवन में कितने भी बदलाव क्यों ना आ जाएं और परिस्थितियां कैसी भी रही हों। हौसला अगर बुलंद हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है