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डॉक्टर जोड़ी ने नियाग्रा फॉल्स में दुनिया का पहला विदेशी कश्मीरी म्यूज़ियम स्थापित किया

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एक कश्मीरी डॉक्टर जोड़ी,खुर्शीद अहमद गुरु और लुबना गुरु का विदेश में एक कश्मीरी म्यूज़ियम स्थापित करने का ड्रीम प्रोजेक्ट जिसका कल्पना 2020 में की गई थी,आखिरकार वह ख्वाब पुरा हो गया है। नियाग्रा फॉल्स की पृष्ठभूमि में, कश्मीरी संस्कृति और कला का दुनिया का पहला विदेशी म्यूज़ियम इस जोड़ी ने बनवाया है।

खुर्शीद गुरु ने मीडिया से बात करते हुए कहा- ‘कि हर साल करीब एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोग नियाग्रा आते हैं और अगर उनमें से एक प्रतिशत भी म्यूज़ियम में आतें हैं तो उनका सपना पुरा हो जाएगा।

इसकी असलियत को ज़ाहिर करने के लिए खुर्शीद ने म्यूज़ियम का नाम ‘सेंटर फॉर कश्मीर’ रखा है। इसमें संस्कृति, इतिहास और कला को दर्शाने वाली कई कश्मीरी कलाकृतियां शामिल हैं।

कश्मीरी डॉक्टर का जज़्बा उनके पिता अब्दुल अहद गुरु से जुड़ा हुआ है, जो एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ थे। लेकिन 1अप्रैल,1993 को श्रीनगर में उनकी क्रूरता से हत्या कर दी गई थी।

खुर्शीद एक सीनियर रोबोटिक ऑन्कोलॉजिकल सर्जन हैं और अमेरिका के बफेलो में रोसवेल पार्क व्यापक कैंसर केंद्र के यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। वह पिछले 17 सालों से अपनी बाल रोग विशेषज्ञ पत्नी लुबना के साथ बफेलो में काम कर रहे हैं। इस जोड़ी ने कलाकृतियों के अलावा कश्मीर पर 1,500 बेहतरीन किताबों को इकट्ठा किया है,जिसे घाटी से बाहर कश्मीर पर सबसे बड़ा किताबों का मजमुआ बताया जा रहा है।

म्यूज़ियम अब खोलने के लिए बिल्कुल तैयार है। प्रदर्शित के लिए जिन चीज़ों की नुमोईश करने का मंसूबा बनाया गया था उनमें पेंटिंग, प्रिंट किताबें और कश्मीरी हैंडीक्राफ्ट्स के साथ-साथ शॉल, गलीचे, लकड़ी की नक्काशी, पैपियर माची और अन्य आइटम भी शामिल हैं। चूंकि कोविड-19 के बाद लागत बढ़ गई है, इसलिए खुर्शीद कश्मीरी संस्कृति और कला के संरक्षकों और वैश्विक संस्कृति में रुचि रखने वालों से फंड जुटा रहे हैं।

बता दें की- यह संपत्ति माइकल सुस्ज़ेक से $ 200,000 में खरीदा गया है। म्यूज़ियम का निर्माण और नवीनीकरण के लिए $ 1.25 मिलियन और फर्नीचर उपकरणों के लिए $ 250,000 और अन्य लागतों के लिए $ 300,000 खर्च हुए हैं।

कोरोना महामारी के बाद, लागत बढ़ गई थी। जिसके बाद न्यूयॉर्क के अधिकारियों ने सितंबर 2021 में 9,400 वर्ग फुट की इमारत के लिए टैक्स में रियायत दी थी। यह एक पब्लिक चैरिटी इदारा है जिसका उद्देश्य दक्षिण एशियाई हिमालयी क्षेत्र की कला, संस्कृति और इतिहास पर वैश्विक केंद्र बिंदु के रूप में काम करना है। ‘कश्मीरी जीवन शैली’ की हिफाज़त और इसको बढ़ावा देना इसके अस्तित्व के केंद्र में है।

उम्मीद है कि यह एक व्यावसायिक संचालन के रूप में अपने दम पर चल सकता है, जिसमें टिकट की बिक्री और संचालन लागत को कवर करने वाली वार्षिक सदस्यता भी शामिल हैं।

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