जेईई मेन 2025 के परिणामों में 24 छात्रों ने 100 पर्सेंटाइल हासिल की है, लेकिन चर्चा सिर्फ ओमप्रकाश बेहरा की हो रही है। इस ओडिशा के मेधावी ने दोनों सत्रों (जनवरी और अप्रैल) में 300 में से 300 अंक लाकर इतिहास रच दिया। उनकी इस उपलब्धि के पीछे न सिर्फ उनकी मेहनत, बल्कि उनके माता-पिता का अथक समर्पण भी छिपा है।
पारिवारिक संघर्ष: मां ने छोड़ी नौकरी, पिता ने कराया ट्रांसफर
ओमप्रकाश मूलतः भुवनेश्वर के रहने वाले हैं, लेकिन कोटा आकर जेईई की तैयारी की। उनके पिता कमलकांत बेहरा ओडिशा प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिन्होंने बेटे के करीब रहने के लिए दिल्ली डेप्युटेशन पर ट्रांसफर प्राप्त किया। वहीं, मां स्मिता रानी (कॉलेज लेक्चरर) ने तीन साल के लिए नौकरी से विराम लेकर कोटा में बेटे की देखभाल की। ओमप्रकाश का कहना है, “मेरी सफलता में उनका त्याग सबसे बड़ा सहारा रहा।”
10वीं के बाद बदला जीवन: कोटा आकर जाना जेईई का महत्व
12 जनवरी 2008 को जन्मे ओमप्रकाश को 10वीं तक जेईई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। भुवनेश्वर के शिक्षकों ने उन्हें कोटा जाने के लिए प्रेरित किया। यहां पहुंचकर उन्होंने एनसीईआरटी पर फोकस किया और हर मॉक टेस्ट के बाद स्वयं का विश्लेषण किया। “गलतियों से सीखकर अगले टेस्ट में सुधार करता था,” उन्होंने बताया।
सफलता का मंत्र: डिजिटल दुनिया से दूरी, 8-9 घंटे की सेल्फ-स्टडी
ओमप्रकाश ने तैयारी के दौरान फोन और सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली। उनका मानना है कि यह ध्यान भटकाते हैं। वर्तमान में वह जेईई एडवांस्ड की तैयारी में जुटे हैं और रोजाना 8-9 घंटे पढ़ाई करते हैं। उनका लक्ष्य आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करना है।
व्यक्तिगत जीवन: नॉवेल्स के शौकीन, 10वीं में 92% अंक
अध्ययन के अलावा, ओमप्रकाश को उपन्यास पढ़ने का शौक है। उन्होंने 10वीं बोर्ड में 92% अंक प्राप्त किए थे। उनकी सलाह है, “अतीत पर नहीं, वर्तमान पर फोकस करें। हर चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ें।”
आगे की राह
ओमप्रकाश की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों की कमी को बाधा मानते हैं। उन्होंने साबित किया कि सही रणनीति, परिवार का सहयोग और स्व-अनुशासन से सपने पूरे होते हैं। अब सबकी निगाहें जेईई एडवांस्ड के परिणाम पर टिकी हैं, जहां यह प्रतिभाशाली छात्र फिर से इतिहास लिखने को तैयार है।