नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर का एक बयान बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. यह बयान दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के हवाले से वायरल किया जा रहा है.
क्या है बयान?
दैनिक भास्कर के रिपोर्ट के मुताबिक अपने भड़काऊ भाषणों के लिए मशहूर कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने कहा की “जनसंख्या नियंत्रण कानून जब तक नहीं आता, तब तक हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करना चाहिए। वे बोले- अल्पसंख्यक 4 पत्नियों से 40 बच्चे पैदा कर सकते हैं तो हिंदुओं को भी जागना होगा। हम दो हमारे दो और 40 बच्चों का अंतर नहीं चलेगा।”
यह बात कहते हुए वह दावा कर रहे हैं की अल्पसंख्यक समुदाय के लोग खासकर उन्होंने यहाँ मुस्लिमों को टारगेट करते हुआ कहा की वे 4 पत्नियां और 40 बच्चे करते हैं.
क्या है सच्चाई?
देवकी नंदन ठाकुर के इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे गूगल पर कुछ सिंपल कीवर्ड सर्च किये तो हमें जापान की द डिप्लोमेट नामक मैगज़ीन की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में NFHS-5 के हवाले से बताया गया है की मुसलमानों के बीच प्रजनन दर 1992-93 में 4.4 के उच्च स्तर से 2019-20 में गिरकर 2.3 हो गई है। प्रजनन दर एक महिला के अपने जीवनकाल में पैदा हुए बच्चों की औसत संख्या है। अगर हम मोटा-मोटी कहें तो साल 2019-2020 में हर एक मुस्लिम परिवार में औसतन केवल 2 बच्चे हैं. वहीँ दूसरी तरफ NFHS-5 के आंकड़ों से पता चलता है कि हिंदुओं और मुसलमानों की प्रजनन दर में केवल 0.3 अंकों का अंतर है यानी एक बच्चे से भी कम का अंतर है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया की “प्रजनन दर धर्म पर निर्भर नहीं करती है। यह महिलाओं की निरक्षरता, आय और स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण जैसे कारकों पर निर्भर करता है, ”डॉक्टर एस वाई कुरैशी ने कहा। चूंकि परिवार नियोजन जैसी स्वास्थ्य सेवाएं मुस्लिम इलाकों तक नहीं पहुंचती हैं जिसकी वजह मुस्लिम परिवार और भी ज़्यादा पिछड़ता जा रहा है.
इसके बाद हमें पिउ रिसर्च सेंटर की एक और रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में बताया गया है न केवल मुस्लिम अल्पसंख्यकों की प्रजनन दर कम हुयी है बल्कि और जो धर्म के अल्पसंख्यक हैं मसलन जैन, बौद्ध, ईसाई, और सिख धर्म में प्रजनन दर और सालों के मुकाबले कम पाई गयी है.
NFHS-5 के मुताबिक हाल ही के सालों में भारत में हर एक धर्म की औरतों में प्रजनन दर और सालों के मुकाबले काफी कम आयी है.
अतः हमारी इस पड़ताल से ये स्पष्ट हो गया की कथावाचक देवकी नंदन द्वारा किया जा रहा पूरी तरह भ्रामक है.
Claimed By | Devkinandan Thakur |
Claimed Reviewed By | The Lallanpost |
Claim Source | Twitter, Facebook |
Claim Fact Check | False |