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महिलाओं के ‘घूमने’ के सपनों को सजना अली (Sajna Ali) दे रही हैं पंख

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सजना अली (Sajna Ali) में ऐसी काबिलियत है, जो सफल लोगों के पास होती है। उनकी कहानी 2014 में शुरू होती है जब उन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिल्कर तिरुवनंतपुरम से ओडिशा तक एक हफ्ते की यात्रा की योजना बनाई। यहां तक कि जब कुछ लोगों ने जाने से मना किया तो भी वह नहीं मानी और वह अकेली चली गईं और वहां से घूम कर वह वापस अपने घर केरल चली आईं। और इसके बाद उन्होंने एक ट्रैवल एजेंसी शुरू की। और उन्होंने अपनी एजेंसी को सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। और इसी साल उन्होंने पुणे ट्रैवल एजेंसी की 398वीं यात्रा पूरी की.उन्होंने अपनी इस यात्रा का नाम अप्पूपपंथादी रखा.

अपुपंथाडी को मलयालम में दुग्ध घास कहा जाता है। जो केरल के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से पाया जाता है। इस जड़ी बूटी के सेवन से बच्चों की ग्रोथ बढ़ती है। और समलैंगिकता को रोकने में उपयोगी होती है।

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एक छोटी बच्ची की मां 36 वर्षीया सजना फिलहाल ट्रैवल कंपनी के 400वें ट्रिप माइलस्टोन का जश्न मना रही हैं। आठ साल पहले लिए गए फैसले की बदौलत पिछले सात सालों में 4,300 महिलाओं ने पूरे भारत में यात्रा की है। उनकी ट्रैवल कंपनी के लिए एक और पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा इस साल है। सजना (Sajna Ali) कहती हैं कि सबसे अच्छी याद मेरी पहली यात्रा की है जब यह शुरू हुई थी। (Sajna Ali) कहती हैं कि आठ महिलाओं के साथ कोल्लम जिले के रोसमाला की पहली यात्रा थी और मैंने उस यात्रा के दौरान की यादों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। इसके बाद लोग मुझसे इसके बारे में पूछने लगे। वह कहती हैं कि मुझे लगा कि अपनी ट्रैवल एजेंसी शुरू करने का यह सही समय है।

सजना अली

वह कहती हैं कि मैं कोझिकोड की रहने वाली हूं। मेरे पिता एक ट्रक ड्राइवर हैं जो अपनी यात्रा से लौटने पर अपनी यात्रा के बारे में सुनाया करते थे। मैं हमेशा उनके साथ जाना चाहती थी। लेकिन वह मुझे लंबी यात्राओं पर नहीं ले गए। क्योंकि महिलाओं के लिए वॉशरूम की सुविधा नहीं थी। हालाँकि, वह मुझे एक दिन की यात्रा पर ले जाते थे और मुझे उनमें बहुत मज़ा आता था।

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यात्रा के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए सजना ने तिरुवनंतपुरम के टेक्नोपार्क में नौकरी छोड़ दी। ट्रैवल कंपनी ने अपना 400वां टूर पूरा कर लिया है। अब वह समाज के लोगों को इसका हिस्सा बनाना चाहती हैं। और इस यात्रा में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करना चाहती हैं। उनका कहना है कि यात्रा से जुड़ी किसी भी चीज के लिए लोग स्वेच्छा से अपना समय दे सकते हैं। अपुपंथाडी ने टिकाऊ यात्रा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के मिशन, रेस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन केरल के साथ करार किया है। एक अन्य संघ परायाना ट्रैवल फेलोशिप है। इसका ठेका भी हो गया है। ताकि जो लोग इस कंपनी से सफर करना चाहते हैं। इनका उपयोग ऑनलाइन ब्लॉग और वीडियो पोस्ट के बदले लीक से हटकर साइटों को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।

सजना अली अपने दोस्तों के साथ

ज्यादातर यात्री सजना को उनके फेसबुक ग्रुप के जरिए मिलते हैं। सजना 22 व्हाट्सएप ग्रुप भी चलाती हैं. और प्रत्येक ग्रुप में 300 लोग शामिल हैं। वह यात्रा योजनाओं को बढ़ावा देने और अंतिम रूप देने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करती हैं। वह कहती हैं कि भारतीय महिला के लिए अकेले यात्रा, किसी स्थान पर जाना, वीडियो बनाना या सेल्फी लेना है, तो उनके लिए बहुत परेशानिया होती थीं। लेकिन हमारी एजेंसी अब उन्हें अकेले यात्रा करने का अधिकार दे रही है। मैंने सैकड़ों महिलाओं को देखा है जो हमारे साथ यात्रा करने में स्वतंत्र महसूस करती हैं।

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वह कहती हैं कि कुछ महिलाएं ऐसी हैं जो 50 की उम्र में पहली बार यात्रा कर रही हैं। सोलो यात्रा उनके मज़ेदार पक्ष को सामने लाती है। यह उन्हें स्वतंत्र, आत्मविश्वासी और सक्षम महसूस कराता है। सजना यात्राओं को बजट के अनुकूल रखती है और सफ़र शुरू करने से पहले वह हर बात को अच्छी तरह से समझ लेती हैं। वह कहती हैं कि मेरी सबसे बड़ी चिंता मेरी महिला यात्रियों की सुरक्षा है, हम उस पर कभी समझौता नहीं करते।

सजना अली (Sajna Ali)

होटल के गलियारों में रोशनी की जाँच की जाती है। वे अतिरिक्त बैटरी फ्लैशलाइट, सुरक्षा ऐप्स और काली मिर्च स्प्रे और टेसर जैसे आत्मरक्षा उपकरण ले जाती हैं। सजना की उपलब्धियों में आओ की विशेष यात्रा परियोजना के लिए 40 लाख रुपये का फेलोशिप अनुदान जीतना शामिल है। हालांकि कोविड-19 ने उनकी यात्रा को रोक दिया था, लेकिन अब वह दो कार्यालय कर्मचारियों और 18 स्वयंसेवकों के साथ काम पर वापस आ गई हैं।

अप्पूपपंथादी का सजना के लिए एक विचारोत्तेजक अर्थ है। यह शब्द उसके बचपन के मज़ेदार और लापरवाह समय को दर्शाता है जब वह अपने दादाजी की गोद में बैठती थी, उनकी कहानियाँ सुनती थी और उनकी दाढ़ी के साथ खेलती थी। वह कहती हैं कि अब यात्रा करना मुझे स्वतंत्र और अच्छा महसूस कराता है। उनका कहना है कि अगर पाँव है तो चलेंगे। यह उनकी टी-शर्ट का स्लोगन है।

(लेखक दैनिक भास्कर से जुड़े हैं)

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