हरियाणा के नूंह जिले के पुन्हाना खंड में स्थित सिरोली गांव ने एक ऐसा ऐतिहासिक मोड़ देखा है जिसने मेवात की ज़मीन से सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का संदेश दिया है। मुस्लिम बहुल इस गांव की पंचायत ने सर्वसम्मति से 30 वर्षीय हिंदू महिला निशा चौहान को सरपंच चुना है, जो विकास और एकता के नए आयाम स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुस्लिम बहुल गांव में एकता की जीत
सिरोली गांव की कुल आबादी 1,296 में लगभग 250 मतदाता हिंदू हैं, जबकि शेष अधिकांश मेव मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं। इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर सामाजिक विकास और एकता को प्राथमिकता दी जा सकती है। स्थानीय लोगों ने हमेशा भाईचारे के रिश्तों को निभाते हुए, धार्मिक समरसता का परिचय दिया है।
चुनाव की प्रक्रिया और लोकतांत्रिक कदम
पंचायत में कुल 15 वार्ड सदस्य (पंच) हैं, जिनमें से 8 महिलाएं हैं। 2 अप्रैल को हुई पंचायत बैठक में उपस्थित 11 सदस्यों ने सर्वसम्मति से निशा चौहान को सरपंच के रूप में चुना। यह पहली बार है जब किसी मुस्लिम बहुल गांव में एक हिंदू महिला को नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पहले के चयनित सरपंचों के साथ हुई घटनाक्रम के बाद यह चुनाव और भी महत्व रखता है।
पिछला इतिहास और नई उम्मीद
दिसंबर 2022 में आयोजित पंचायत चुनावों में सहाना नामक महिला विजयी हुई थीं, लेकिन शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। मार्च 2024 में रेख्शिना को कार्यकारी सरपंच नियुक्त किया गया, जिनके खिलाफ फरवरी 2025 में अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। इन घटनाओं के बाद, निशा चौहान का चयन एक नई उम्मीद और सकारात्मक बदलाव के रूप में सामने आया है।
निशा चौहान का संदेश और स्थानीय समर्थन
निशा चौहान ने कहा, “यह चुनाव सिर्फ मेरी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि मेवात की गंगा-जमुनी तहज़ीब की जीत है।” उनका उद्देश्य है कि पंचायत के हर वर्ग तक विकास के अवसर पहुंचें, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से क्यों न हों। स्थानीय मुस्लिम नेता, पूर्व सरपंच और पंचायत सदस्य अशरफ अली ने भी इस चुनाव का समर्थन करते हुए बताया कि उनके यहां धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है।
मेवात में सांप्रदायिक सौहार्द और विकास का नारा
नूंह जिला, जो मेवात क्षेत्र का हिस्सा है, अक्सर सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन तथा सांप्रदायिक तनाव के कारण सुर्खियों में रहता है। लेकिन सिरोली गांव का यह ऐतिहासिक चुनाव यह दर्शाता है कि यदि सामूहिक इच्छाशक्ति और एकता हो तो समाज में विकास, भाईचारा और सौहार्द की मिसाल कायम की जा सकती है। पंचायत अधिकारी शमशेर सिंह ने पुष्टि की है कि चुनाव पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत संपन्न हुआ।
निष्कर्ष
यह घटना हरियाणा के उस सामाजिक परिदृश्य को दर्शाती है जहां धार्मिक और सामाजिक सीमाओं से परे जाकर एकता और विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। सिरोली गांव का यह चुनाव न केवल मेवात बल्कि पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द, सामाजिक समरसता और लोकतंत्र के नए मानदंड स्थापित करने का प्रतीक बन चुका है।