नई दिल्ली — राजस्थान के शाहपुरा कस्बे के मोहम्मद रज़ा खान (Mohammad Raza Khan) ने अंडर-16 भारतीय बास्केटबॉल टीम में जगह बनाकर पूरे राज्य और मुस्लिम समुदाय का नाम रोशन किया है। वे 11 जून से मालदीव में होने वाली साउथ एशियन बास्केटबॉल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार और इलाके में खुशी और गर्व का माहौल है।
रज़ा खान इन दिनों इंदौर में भारतीय टीम के कैंप में कड़ी मेहनत से अभ्यास कर रहे हैं, जहां उन्होंने अपने खेल और अनुशासन से कोचों को प्रभावित किया। एक कोच ने कहा, “रज़ा ने ट्रेनिंग के दौरान शानदार फोकस और कमिटमेंट दिखाया। उनकी प्रतिभा साफ नज़र आती है और वे इस मौके के पूरी तरह हकदार हैं।”
उनके चयन की खबर मिलते ही शाहपुरा में जश्न का माहौल बन गया। मोहल्लेवाले, रिश्तेदार और खेल प्रेमी उनके घर पहुंचे और उनके पिता शब्बीर हुसैन खान को बधाई दी। एक पड़ोसी ने कहा, “हमें रज़ा पर बहुत गर्व है। उनकी सफलता हमारे समुदाय के हर युवा के लिए प्रेरणा है।”
मोहम्मद रज़ा खान एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने कभी भी अपने खेल के प्रति समर्पण में कमी नहीं आने दी। उनकी यह सफलता साबित करती है कि मेहनत और लगन से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
रज़ा खान जैसलमेर एकेडमी से जुड़े हुए हैं, जो खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए जानी जाती है। वे इस एकेडमी के नौवें खिलाड़ी हैं जिन्हें भारतीय बास्केटबॉल टीम में जगह मिली है, जो खुद इस एकेडमी की गुणवत्ता को दर्शाता है।
एक स्थानीय खेल अधिकारी ने कहा, “मोहम्मद रज़ा खान का चयन न सिर्फ राजस्थान बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए भी गौरव की बात है। यह साबित करता है कि प्रतिभा और समर्पण किसी जाति या आर्थिक स्थिति का मोहताज नहीं होता।”
शाहपुरा के लोगों को पूरा भरोसा है कि रज़ा भारत का नाम रोशन करेंगे और गोल्ड मेडल लेकर लौटेंगे। एक स्थानीय खेल प्रेमी ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि रज़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को गौरवान्वित करेंगे।”
रज़ा की यह कहानी देश के तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है, खासकर उन मुस्लिम युवाओं के लिए जो छोटे कस्बों से आते हैं और जिनकी मेहनत अक्सर अनदेखी रह जाती है। यह सफलता एक सकारात्मक संदेश देती है कि अगर मौका मिले तो हर युवा ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।
जैसे-जैसे रज़ा खान साउथ एशियन बास्केटबॉल चैंपियनशिप के लिए तैयारी कर रहे हैं, पूरे शाहपुरा और राजस्थान की दुआएं उनके साथ हैं। उनका सफर साहस, मेहनत और भारत के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की मिसाल बन चुका है।